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अग्निपथ स्कीम से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक, दूसरी बार रक्षा मंत्री बने राजनाथ सिंह सामने ये होंगी चुनौतियां

Rajnath Singh Defense Minister: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह को फिर से रक्षा मंत्री बनाया गया है। हालांकि रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह के सामने कई चुनौतियां हैं।

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Jun 13, 2024 13:43
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rajnath singh

Rajnath Singh Defense Minister: (पवन मिश्रा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह को एक बार फिर से रक्षा मंत्री बनाया गया है। जाहिर है रक्षा के मामले में मोदी सराकर ने एक बार फिर से राजनाथ पर भरोसा करते हुए बड़ा दारोमदार सौंपा है। आपको बता दें कि राजनाथ सिंह दूसरी बार रक्षा मंत्री बनाए गए हैं। मंगलवार को राजनाथ सिंह ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां पहले से ही कुंडली मार के बैठी हुई हैं।

अग्निपथ स्कीम

अग्निपथ स्कीम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी सभी रैलियों में कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो सबसे पहले वो अग्निपथ स्कीम को खत्म कर देंगे। अब राजनाथ सिंह के पास भी यह स्कीम कुंवा और खाई की तरह सामने है। दूसरे कार्यकाल के दौरान सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की समीक्षा करना राजनाथ की पहली प्राथमिकताओं में एक होगा।

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राजनाथ ने लागू की थी योजना

आपको बता दें कि सेना पहले से ही अग्निवीर योजना की समीक्षा में लगी हुई है। सेना के द्वारा समीक्षा रिपोर्ट को सौंपते ही रक्षा मंत्री अग्निवीर योजना में तुरंत बदलाव कर सकते हैं। 2019 में रक्षा मंत्री बनने से पहले राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे। खबरों की मानें तो तब से ही उनके दिमाग में पारा मिलेट्री फोर्स और सेना में बदलाव को लेकर मंथन चल रहा था। रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने शार्ट सर्विसेज को लाने की योजना बनाई और 2022 में अग्निवीर स्कीम सामने आ गई।

क्या थी योजना?

इस स्कीम के तहत 17.5 से 21 वर्ष की आयु के पुरुष और महिला उम्मीदवारों को चार साल के लिए अधिकारी रैंक से नीचे के कैडर में भर्ती शुरू की गई। इसमे यह भी प्रावधान किया गया कि, 25 प्रतिशत अग्निवीरों को 4 साल के बाद डिपार्टमेंटल टेस्ट लेकर अगले 15 सालों तक जॉब में बरकरार रखा जाएगा। इंडिया गठबंधन ने इस योजना की जमकर आलोचना की थी। चुनाव अभियान के दौरान जनता से इसे खत्म करने का वादा किया था। इस योजना में बदलाव करना राजनाथ की प्राथमिकताओं में से एक है।

अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी बड़ी चुनौती

अगर बात करें देश के रक्षा मामलों की तो राजनाथ के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अंतर्राष्ट्रीय सीमा को और ज्यादा मजबूती देने का है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद इंडियन फोर्स में भी बड़े लेवल पर बदलाव की चर्चा होने लगी। इस युद्ध ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया इससे पता चलता है कि युद्ध के दौरान सेना के बीच कम्युनिकेशन होना बेहद जरूरी है। कुछ महीने पहले तक इंटरनेशनल सीमा पर लागतार दुश्मन देश पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन हमला किया गया है। जाहिर है भारत को आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी नीतियों में भी सुधार करना पड़ेगा। इतना ही नही वायुसेना और नौसेना की ताकत को भी मजबूत करना होगा।

मेक इन इंडिया का सपना

फ्रांस, रूस, इजराइल से भी रक्षा मामलों को लेकर कई मुद्दे पर सहमति बनी है। इसे सफलतापूर्वक अंजाम देना भी एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि मेक इन इंडिया के तहत भारत 75 प्रतिशत आर्म्स बनाना चाहता है। क्या इस फार्मूले पर विदेशी कंपनी तैयार होगी, यह भी सबसे बड़ा सवाल है।

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Edited By

Sakshi Pandey

First published on: Jun 13, 2024 01:20 PM

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