पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के टेरर कैंपों को हवाई हमले कर तबाह कर दिया। इसके साथ ही भारत इस मसले पर दुनियाभर के देशों को यह समझाने में भी सफल रहा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए उसने यह कार्रवाई की है। वहीं पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई के बाद भारत ने दुनिया को समझाया कि किस तरह पाकिस्तान आज भी आतंकवाद को लालन-पालन कर रहा है। हालांकि चीन और तुर्की की ओर से जरूर भारत को चुनौती मिली लेकिन यह पहले से तय था। आइये समझते हैं भारत को कैसे दुनियाभर से मिला जनसमर्थन।
चीन ने हमले के बाद खुलकर पाकिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की वकालत की। इसके अलावा उसे हथियारों की आपूर्ति में भी सहयोग दिया गया। यही नहीं 10 मई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जहां पाकिस्तान को समर्थन देने वाला बयान जारी किया, वहीं उसी दिन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी फोन पर बातचीत की। इस संवाद में डोभाल ने यह स्पष्ट किया कि भारत युद्ध का पक्षधर नहीं है, लेकिन अपनी सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेगा। चीन का यह दोहरा रुख उसकी तथाकथित ‘डुअल ट्रैक डिप्लोमेसी’ की रणनीति को उजागर करता है।
पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा तुर्की
तुर्की की भूमिका भी भारत के लिए एक स्थायी कूटनीतिक चुनौती बनी हुई है। पाकिस्तान और तुर्की के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंध रहे हैं, जो समय के साथ और मजबूत होते गए हैं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति को भाई कहकर संबोधित किया, जो दोनों देशों के रिश्तों की भावनात्मक गहराई को दर्शाता है। भारत द्वारा चलाए गए सैन्य अभियान के बाद तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान देकर यह साफ कर दिया कि वह किसके साथ खड़ा है।
यूरोप से लेकर खाड़ी तक सभी देशों ने दिया साथ
भारत पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद यूरोप समेत दुनिया के कई देशों ने इस हमले पर दुख जताया। इसमें इजराइल, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई, कतर और ईरान जैसे देश शामिल थे। इन देशों ने भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर हर मुमकिन सहायता करने की बात कही थी। भारत ने पहलगाम हमले के 15 दिन बाद जब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान स्थित टेरर कैंपों को तबाह किया था इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला और दुनियाभर के देशों को इस कार्रवाई से अवगत कराया। सभी देशों ने भारत की इस कार्रवाई को सही ठहराया। हालांकि चीन की ओर से इस पर पाकिस्तान को खुश करने वाली प्रतिक्रिया सामने आई थी।
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दुनिया को बताई पाकिस्तान की सच्चाई
ऐसे में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दुनिया को भरोसे में लिया। यूएनएससी के सदस्य देशों को विदेश मंत्रालय में बुलाकर हमले को लेकर जानकारी दी। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई को लेकर भी भारत ने दुनियाभर के देशों को जानकारी दी। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत कुटनीतिक तौर पर दुनिया का समर्थन प्राप्त करने में सफल नहीं रहा। गल्फ देश जो कभी पाकिस्तान के सपोर्ट में हुआ करते थे सभी ने एक स्वर में इस मुद्दे को लेकर भारत की पैरवी की। चीन अपने व्यावसायिक हितों के कारण हमेशा से ही पाकिस्तान का साथ देता आया है। वहीं तुर्की 1947 से ही कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देता आया है। ऐसे में इन दोनों देशों का ऑपरेशन सिंदूर पर भारत के साथ नहीं आना कुटनीति के जानकारों के लिए हैरानी वाली बात नहीं है।
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