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‘1 देश 1 चुनाव’ पर विपक्ष को साधेंगे मोदी के 3 मंत्री; जानें किस-किसको मिली जिम्मेदारी?

One Nation One Election Proposal: 'वन नेशन वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की हरी झंडी मिल चुकी है। प्रस्ताव को शीतकालीन सत्र में पारित करवाने से पहले बिल तैयार किया जाएगा। वहीं, विपक्ष ने प्रस्ताव पारित होने के बाद विरोध करना शुरू कर दिया है। जिसके बाद मोदी सरकार ने एक खास रणनीति बनाई है। इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Sep 18, 2024 22:27
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One Nation One Election

One Nation One Election: मोदी कैबिनेट 3.0 ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। अब नवंबर में इस प्रस्ताव का बिल तैयार होगा। जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। लेकिन विपक्ष ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है। जिसके बाद सरकार ने विपक्ष को साधने के लिए अपने तीन मंत्रियों को बात करने की जिम्मेदारी विपक्ष के साथ दी है। सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह, अर्जुनराम मेघवाल और किरण रिजीजू को विपक्ष को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह भी पढ़ें:Video: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का विरोध क्यों कर रहा विपक्ष? प्रस्ताव लागू होने में क्या-क्या अड़चनें?

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अगर ये फॉर्मूला लागू हो जाता है तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली कैबिनेट ने प्रपोजल को बुधवार को हरी झंडी दी। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश एक चुनाव को लेकर कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी ने 62 दलों के साथ संपर्क किया था। 15 दलों ने प्रस्ताव का विरोध किया था। जबकि 32 दलों ने इस प्रस्ताव का पक्ष लिया था। 15 पार्टियां ऐसी रहीं, जिन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रस्ताव पारित होने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर विस्तार से इसके बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि पहले फेज में देश में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे। इसके 100 दिन बाद निकाय चुनाव करवाए जाएंगे। कमेटी के सुझावों पर देशभर के लोगों से चर्चा की जाएगी। इस व्यवस्था से लोकतंत्र मजबूत होगा। बार-बार चुनाव के कारण होने वाले खर्च पर लगाम लगेगी।

ये नेता विरोध में उतरे

वहीं, प्रस्ताव पारित होने के बाद इसके खिलाफ विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि ये लोकतंत्र पर हमला है। संविधान विरोधी प्रयास है। जिसका वे विरोध करते हैं। मोदी सरकार चाहती है कि रीजनल पार्टियां खत्म हो जाएं। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने भी प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। दोनों ने पीएम मोदी पर तंज कसा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि मोदी के 3 मंत्री विपक्ष को कैसे साध पाते हैं?

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Sep 18, 2024 10:08 PM

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