Madras High Court Latest Verdict in Favour of Mother: एक मां के हक में हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। साथ ही 8 साल की बेटी को लेकर पिता को एक आदेश दिया, जिसका उसे सख्ती से पालन करने को कहा गया है। मामला बेटी की कस्टडी से जुड़ा है। महिला पति से तलाक ले चुकी थी, लेकिन पति ने उसकी 8 साल की बेटी को अपने पास रख लिया। बेटी छोटी है, मां के बिना नहीं रह सकती, यह जानते हुए भी उसने बेटी को मां को नहीं सौंपा तो महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां फैसला मां के हक में सुनाया गया। वहीं पिता को बेटी को उसकी मां को सौंपने को कहा गया है।
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बेटी को 4 हफ्ते में मां को सौंपने का आदेश
मामला मद्रास का है। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आर सुब्रमण्यन और जस्टिस डी नागार्जुन की बेंच ने 8 साल की बच्ची की कस्टडी से जुड़े केस में फैसला दिया कि बेटी को उसकी मां के पास छोड़ दिया जाए। हालांकि उसने बच्ची को अपने बुजुर्ग मां-बाप के पास मुंबई में छोड़ दिया था, लेकिन बच्ची का हित इसी में है कि वह अपनी मां के साथ रहे। इसलिए कोर्ट पिता को 4 हफ्तों में बच्ची की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश देती है। बेंच ने यह भी कहा कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों की सही देखभाल सिर्फ उनकी मां ही कर सकती है। इसलिए पति-पत्नी के अलग होने पर, तलाक ले लेने के बाद भी इस उम्र के बच्चों की कस्टडी मां को ही मिलनी चाहिए।
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कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा पिता
मिली जानकारी के अनुसार, स्टालिन सैमुअल और ग्रेसी सिल्विया ने 2014 में शादी की थी। दोनों कुछ दिन मुंबई में रहे, फिर अमेरिका चले गए। 2015 में उनकी बेटी हुई, लेकिन इसके बाद दोनों का तलाक हो गया। पिता को बेटी की कस्टडी मिल गई, जिसने उसे मुंबई में अपने मां-बाप के पास छोड़ दिया और खुद अमेरिका चला गया। 2020 में पिता उसे अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन सलेम की महिला कोर्ट ने उसे बेटी को अमेरिका ले जाने से रोक दिया। इसलिए उसने बेटी की देखभाल के लिए अमेरिका में अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी और मुंबई में नौकरी करने लगे। 2022 में सलेम की कोर्ट ने बेटी को उसकी मां को सौंपने का आदेश दे दिया।
स्टालिन ने इस फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी मां के हक में फैसला सुनाया।