दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
Why PM Modi announced Bharat Ratna to 5 Leaders: कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंह राव, एमएस स्वामीनाथन, इन सभी पांच हस्तियों को भारत सरकार ने इसी साल सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा है। किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, अगर कुछ और नाम भारत रत्न के रूप में आने वाले दिनों में सामने आएं। निश्चित ही ये सभी नाम महत्वपूर्ण हैं और देश-समाज की तरक्की में इनका अपना विशिष्ट योगदान रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को छोड़कर बाकी सभी हस्तियां हमारे बीच नहीं हैं। सबको मरणोपरांत यह सम्मान मिला है।
पीएम नरेंद्र मोदी भी संकेतों की राजनीति करते आ रहे हैं। वे चौंकाने के लिए भी जाने जाते हैं। साल 2014 में एनडीए सरकार बनी तो पीएम ने सफाई का अभियान छेड़ा और गांधी जी प्रतीक बन गए। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति गुजरात में लगाकर सरकार ने न केवल गुजरात को साधा बल्कि देश भर से लोहा एकत्र करके पिछड़े वर्ग की भावनाओं को जोड़ा।
दक्षिण का साथ जरूरी
400 का आंकड़ा संसद में पार करने की एक ही सूरत है कि दक्षिण भारत से कुछ बड़े पार्टनर मिलें। जयललिता की पार्टी से तमिलनाडु में भाजपा के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी का प्रदर्शन शानदार है। वे भाजपा के प्रति आक्रामक भी नहीं हैं। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में भाजपा का खाता अब तक नहीं खुल पाया है। इन राज्यों में भाजपा अपने बूते शुरुआत करना चाहती है। पीएम ने हाल के वर्षों में यहां खूब दौरे किए हैं।
Prayed at the iconic Kothandaramaswamy Temple. Felt extremely blessed. pic.twitter.com/0rs58qqwex
— Narendra Modi (@narendramodi) January 21, 2024
लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है। तमिल संगमम नामक कार्यक्रम वाराणसी और वडोदरा में आयोजित करने के पीछे मंशा यही थी कि तमिलनाडु के लोगों को जोड़ा जाए। तमिलनाडु में भाजपा की स्थानीय इकाई लगातार आक्रामक भूमिका में है। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं। वे पहले भी इस गठबंधन का हिस्सा रहे हैं।
एक-एक सीट का लेखा-जोखा
भारत रत्न एमएस स्वामीनाथन चेन्नई से आते हैं। वे बड़े कृषि वैज्ञानिक थे। हरित क्रांति में उनकी बड़ी भूमिका है। मोटे अनाज को पहचान दिलाने में उनकी भूमिका को इनकार नहीं किया जा सकता। चौधरी चरण सिंह की पहचान किसान नेता के रूप में ही है। पीवी नरसिंह राव आंध्र प्रदेश से आते थे और पीएम के रूप में आर्थिक उदारीकरण कि शुरुआत उन्होंने ही की थी।
#WATCH | Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar speaks to LoP Mallikarjun Kharge and other Congress leaders, says "You virtually insulted Chaudhary Charan Singh, you insulted his legacy. You had no time for Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh. You are hurting every farmer in the… pic.twitter.com/jQpeEoUZ80
— ANI (@ANI) February 10, 2024
उनकी बोई हुई फसल आज भी हम काट रहे हैं। किसी से छिपा नहीं है कि लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के बाद नायक के रूप में उभरे। आज मंदिर में रामलला विराजमान हैं। उनकी उपेक्षा से बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता कहीं न कहीं निराश थे। अब वे रीचार्ज हैं। इन सभी कोशिशों के पीछे संदेश और एक-एक सीट का लेखा-जोखा है। 400 का आंकड़ा पार करने की रणनीति है।
जयंत तो NDA में आ ही जाते, बात कुछ और
लोकसभा चुनाव की बात हो और सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश की चर्चा जरूरी है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के पीछे केवल यह बात नहीं है कि उनके पोते की पार्टी को NDA का हिस्सा बनाना है। यह तो देर-सबेर हो ही जाना था। सपा-रालोद गठजोड़ टूटने से पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी कमजोर होगी।
भाजपा के लिए यह बेहद जरूरी है। चौधरी चरण सिंह का लाभ किसान समुदाय को एकजुट करने में किंचित मददगार होगा। आंकड़ों में देखिए. साल 2019 चुनाव पूरा विपक्ष मिलकर लड़ा तब सपा को 5, बसपा को 10 और कांग्रेस को एक सीट मिली। इस बार सपा-बसपा अलग-अलग हैं। जयंत चौधरी की पार्टी का अब तक का सर्वोच्च प्रदर्शन 5 सीटों का ही रहा है। दो चुनाव तो ऐसे भी सामने आए जब पिता अजित-पुत्र जयंत, दोनों हार गए।
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एनडीए का हिस्सा बनकर जहां रालोद को ज्यादा मिलने वाला है, वहीं सपा-बसपा कमजोर होंगे। पश्चिम उत्तर प्रदेश से 27 में से 22 संसदीय सीटें पिछली बार भी बीजेपी के पास थीं। राम मंदिर, ज्ञानवापी, कृष्ण जन्मभूमि, बुलडोजर बाबा जैसे इरादों से बीजेपी यूपी में विपक्ष को उखाड़ना चाहती है। इस साल का चुनाव उत्तर प्रदेश के आंकड़ों में रोचक होगा, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।
'मोदी 3.0' विकसित भारत की नींव को मजबूत करने में अपनी पूरी शक्ति लगा देगा। pic.twitter.com/bq3v7dJQXH
— Narendra Modi (@narendramodi) February 7, 2024
बिहार से ज्यादा सीटें निकालना मकसद
कर्पूरी ठाकुर ने मण्डल आंदोलन को हवा दी थी। उन्हें भारत रत्न देकर न केवल पिछड़े वर्ग को जोड़ने का प्रयास होना तय है बल्कि एक और बड़े राज्य बिहार से अधिक से अधिक सीटें निकालना है। नीतीश के एनडीए का हिस्सा बनने के बाद यह काम और आसान हो गया है। अब जदयू-भाजपा-लोकजनशक्ति के दोनों गुट, मांझी जैसे लोग मिलकर एक साथ चुनाव लड़ने वाले हैं। एकजुटता का फायदा आदि काल से होता आया है तो इस बार भी होगा, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।
अभी और हो सकती हैं घोषणाएं
कोई बड़ी बात नहीं कि चुनाव घोषित होने से पहले भारत रत्न के रूप में कुछ और हस्तियां सम्मानित की जाएं। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने गुरुवार को घोषित तीन भारत रत्न सम्मान का स्वागत करते हुए अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर कांशीराम को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की मांग कर दी। यह मांग भी पूरी हो सकती है। हां, समय मौका और तारीख पीएम तय करेंगे क्योंकि बाबा साहब आंबेडकर के बाद कांशीराम दलितों के प्रतीक बनकर उभरे थे। अगर इन्हें भी भारत रत्न घोषित हो गया तो दलितों को जोड़ने के अनेक प्रयासों में से एक यह भी साबित हो सकता है. इस तरह भाजपा ने भारत रत्न का ‘पंचामृत’ तैयार किया है, जो आम चुनाव में बंटेगा और इसके सहारे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेगी।
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