La Nina New Update: दक्षिण पश्चिम मानसून वापसी की ओर है और सर्दी का मौसम दस्तक देने को तैयार है. हालांकि इस बार भारत में ज्यादा गर्मी नहीं पड़ी और न ही साल 2025 सबसे गर्म साल कहलाएगा, क्योंकि इस बार मानसून सीजन में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस साल के अंत में प्रशांत महासागर में ला नीना एक्टिव होने से भारत समेत पूरी दुनिया में मौसम पर असर पड़ेगा.
updated CPC ENSO probabilities show an increase in La Nina percentage for the winter months. later on transitioning to Neutral in the late winter-spring months ❄️ pic.twitter.com/9X9mOeBK3g
---विज्ञापन---— charlotte (@chazzzwx) September 13, 2025
उत्तर भारत के लोग सतर्क रहें
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ला नीना के असर से भारत की सर्दियां खासकर अक्टूबर से दिसंबर के बीच सामान्य से ज्यादा ठंडी हो सकती हैं. उत्तर भारत और हिमालयन रीजन में भयंकर शीतलहर, कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी का दौर रहेगा. इसलिए पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लोगों को सतर्क रहने की जरूरत हैं. बर्फबारी के लिए पहले से तैयार की जरूरत है.
क्या है ला नीना की स्थिति?
बता दें कि ला नीना अल नीनो साउदर्न ओसिलेशन (ENSO) नामक जलवायु परिवर्तन है, जिससे प्रशांत महासागर ठंडा हो जाता है. इसका तापमान सामान्य से कम हो जाता है. पूर्वी हवाएं तेजी से बहती हैं. इससे जहां धरती के कुछ हिस्सों में ज्यादा बारिश होती है, वहीं कुछ इलाकों को सूखे की स्थिति झेलनी पड़ती है. जिस समय ला-नीना एक्टिव होता है और इसके असर से जिन हिस्सों में बारिश होती है, उस समय भारत में सर्दी भी पड़ती है.
क्या असर पड़ता सकता है?
इसलिए इस बार सर्दियों में भारत में ला नीना के कारण ज्यादा बारिश भी देखने को मिल सकती है. ला नीना के असर से ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में अच्छी बारिश होती है. नॉर्थ यूरोप में सर्दी कम पड़ती है, लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में सर्दी ज्यादा पड़ सकती है. ला नीना के कारण होने वाली बारिश किसानों की खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन धान की फसलों को नुकसान हो सकता है.
क्या कहता है अमेरिका?
बता दें कि अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (CPC) ने ला लीना पर अपडेट दिया है. 11 सितंबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशांत महसागर में अक्टूबर और दिसंबर 2025 के बीच ला नीना एक्टिव हो सकता है और इसकी संभावना 71% है. दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच ला नीला का असर कम होकर 54% रह सकता है. इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर देखा जा सकता है.
The latest @WMO update indicates that La Niña may develop from September 2025. Despite its temporary cooling influence, above-average temperatures remain likely across much of the world.
— Global Goals (@GlobalGoalsUN) September 6, 2025
🔗 Read the full update: https://t.co/XhMkXhBRtV pic.twitter.com/Bbw79sTqlX
क्या कहता है IMD?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगस्त 2025 में ENSO बुलेटिन जारी किया था. इसमें कहा गया था कि प्रशांत महासागर में फिलहाल मौसमी परिस्थतियां तटस्थ हैं, यानी न अल नीनो और न ही ला नीना एक्टिव है. मानसून के सीजन में यही तटस्थ हालात बने रहे, लेकिन अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना के एक्टिव होने की संभावना 50 प्रतिशत है और ना लीना के एक्टिव होने का मतलब होगा, भारत में ज्यादा ठंड.
क्या कहता है स्काईमेट?
स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत महासागर पहले से ही सामान्य से ज्यादा ठंडा है, लेकिन अभी ला नीना के लेवल तक नहीं पहुंचा है. अगर महासागर की सतह का तापमान -0.5°C से नीचे गया और 3 महीने तक यही स्थिति बनी रही तो ला नीना एक्टिव होने की घोषणा हो जाएगी. पंजाब के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) और ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (INPE) की साल 2024 में हुई रिसर्च में भी कहा गया है कि ला नीना से उत्तर भारत में कड़ी शीत लहर चलती है.
A transition from #ENSO-neutral to La Niña is likely in the next couple of months, with a 71% chance of La Niña during Oct-Dec 2025. Thereafter, La Niña is favored but chances decrease to 54% in Dec 2025-Feb 2026. A #LaNina Watch remains in effect. https://t.co/5zlzaZ1aZx pic.twitter.com/XC6PTMi8cO
— NWS Climate Prediction Center (@NWSCPC) September 11, 2025