NVS-02 Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक और सफलता मिली है। बुधवार को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F15 Launch) रॉकेट से एनवीएस-02 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 6:23 बजे किया गया। इसके लॉन्च के साथ ही इसरो ने इस साइट पर अपना 100वां मिशन पूरा कर लिया है। इससे पहले 29 मई 2023 को एनवीएस-01 को जीएसएलवी-एफ12 के जरिये लॉन्च किया गया था। जानिए NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट कैसे काम करेगा?
क्या है NVS-02?
NVS-02 उपग्रह भारत के नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) सिस्टम की दूसरी पीढ़ी की श्रृंखला का भाग है। इसरो के जरिए विकसित NavIC एक इंडिपेंडेंट रीजनल सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जिसे भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सटीक स्थिति, समय और सेवाओं के लिए डिजाइन किया गया है। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस, NVS-02 उपग्रह बाकियों की तुलना में बेहतर काम, हाई एक्यूरेसी और विस्तारित क्षमताओं को सुनिश्चित करने का काम करता है।
📸 Relive the moment! Here are stunning visuals from the GSLV-F15/NVS-02 launch.
---विज्ञापन---A proud milestone for India’s space journey! 🌌 #GSLV #NAVIC #ISRO pic.twitter.com/RK4hXuBZNN
— ISRO (@isro) January 29, 2025
क्या होगा इसका काम?
इसरो ने एक बयान में कहा कि स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाले GSLV-F15 NVS-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करने का काम करेगा। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) इसरो के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि इस प्रक्षेपण से भारत के रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को 4 से 5 उपग्रहों तक अपडेट किया जा सकता है। जीएसएलवी-एफ-15 मिशन के लॉन्च के बाद एनवीएस-02 उपग्रह को ऑर्बिट भेजेंगे। जिसे आखिर में 36,000 किलोमीटर की दूरी पर भूस्थिर ऑर्बिट में रखा जाएगा। इसके स्थापित होने से उपग्रहों की संख्या 4 से 5 तक पहुंच जाएगी।
नेविगेशन सैटेलाइट से जो जानकारी मिलती है उसकी सटीकता में इससे सुधार किया जा सकेगा। खासतौर पर यह हवाई और समुद्री यातायात को अच्छे से ट्रैक कर सकता है। साथ ही, सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए भी यह नेविगेशन काम आएगा।
ISRO ने 2025 की शुरुआत में ही यह इतिहास रच दिया है। इस 100वें मिशन का लॉन्च ISRO के नए अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन के नेतृत्व में किया गया। आपको बता दें कि श्रीहरिकोटा से पहला लॉन्च 10 अगस्त 1979 को SLV-E-01 रॉकेट से किया गया था।
ये भी पढ़ें: भारत के इस राज्य को कभी गुलाम नहीं बना पाया ब्रिटिश शासन; आज अपनी खूबसूरती के लिए है फेमस