भारतीय नौसेना का पहला सिला हुआ पोत यानी स्टिच्ड शिप आईएनएसवी कौंडिन्य अपनी पहली समुद्री यात्रा पर इसी महिने की 29 दिसंबर को निकलेगे,यात्र की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्लैग ऑफ करके करेंगे. यात्रा की शुरुआत पोरबंदर से शुरु होकर ओमान के मस्कट तक जाएगी. नौसेना से मिली जानकारी के मुताबिक आईएनएसवी कौंडिन्य एक ऐसा जहाज है जो भारती कि प्राचीन समुद्री परंपराओं की याद को ताजा रखे हुए है.
यानी जब चोल साम्राज्य में नौसेना थी तो उसका स्वरुप,आकार,और लड़ाई का कैसा तरीका था, आईएनएसवी कौंडिन्य अपने यात्रा पर उन पुराने समुद्री मार्गों की याद दिलाएगी,जिसके बदौलत भारत का दबदबा हिंद महासागर में बरकरार रहने के साथ ही हिंद महासागर के दूसरे देशों के साथ यह जुड़ा रहा है. आईएनएसवी कौंडिन्य को पूरी तरह से पूराने तकनीक से बनाया गया है. यह जहाज प्राचीन इतिहास,के साथ ही आधुनिक समय में नौसेना की क्या तकनीक है और प्राचीन समय के नौसेना के कारीगर और वर्तमान में नौसेना के कारीगर,जिन्हे हम मेक इन इंडिया या आत्मनिर्भर भारत कहते है पूरी इतिहास को एक साथ समेटते हुए दिखाएगा. आपको बता दे कि आईएनएसवी कौंडिन्य को लकड़ी से नहीं बल्कि नारियल की रस्सी से तैयार किया गया है.

इन रस्सियों को देशी गोंद से जोड़ कर बनाया गया है. कभी ऐसी ही तकनीक का इस्तेमाल शिवाजी के कार्यकाल में हुआ करता था. आपको बता दे कि आईएनएसवी कौंडिन्य की यात्रा पोरंबदर से शुरु होकर चौदह दिनों के अंतराल में मस्कट पहुंचेगी. मस्कट पहुंचने के बाद आईएनएसवी कौंडिन्य का बाली भी जाने का प्लान है. मस्कट से बाली की यात्रा का मकसद दुनिया को यह दिखाने से है कि कैसे हजारों साल पहले भारत में समुद्र मार्ग के जरीए व्यापार किया जाता था. पोरबंदर से मस्कट फिर बाली की यात्रा के बाद आईएनएसवी कौंडिन्य को गुजरात के लोथल में मौजूद नेशनल मेरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स में रखा जाएगा आईएनएसवी कौंडिन्य का नाम दुनिया में मशहुर नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है. इस यात्रा का एक मात्र मकसद पूरी दुनिया को भारत की मेरीटाइम हेरिटेज से रू-ब-रू कराने से लेकर के है.










