प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में NSG के जवान तैनात रहते हैं। जब भी प्रधानमंत्री को कहीं जाना होता है, एसपीजी की तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है। इसमें कई चरण होते हैं और अनेक अधिकारी शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को लेकर पहले से योजना बनाना प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या होती है ब्लू बुक?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को जब पंजाब में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे थे, तब वे बठिंडा एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक सड़क मार्ग से रवाना हुए थे, लेकिन प्रदर्शनकारी सड़क पर ही एकत्र हो गए थे और उनका काफिला रोक लिया गया था। इसे प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक कहा गया था। काफी देर तक प्रधानमंत्री मोदी का काफिला एक फ्लाईओवर पर रुका रहा। इसके बाद वे दिल्ली वापस लौट आए थे। इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि पंजाब पुलिस ने ‘ब्लू बुक’ का पालन नहीं किया।
क्या होती है ब्लू बुक?
ब्लू बुक में ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर नियम तय किए गए हैं। इसी ब्लू बुक में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़े प्रोटोकॉल लिखे गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। इसके अनुसार, प्रधानमंत्री की यात्रा और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी संबंधित राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा की जाती है। कार्यक्रम तय होने के बाद एक बड़ी बैठक होती है, जिसमें एसपीजी, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और क्षेत्र के सबसे बड़े अधिकारी (जिलाधिकारी) शामिल होते हैं।
ब्लू बुक के अनुसार, जब प्रधानमंत्री किसी राज्य के दौरे पर होते हैं तो किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक आकस्मिक मार्ग भी तैयार किया जाता है। उनके लिए हमेशा दो मार्ग चुने जाते हैं। वे किस मार्ग से यात्रा करेंगे, इसकी जानकारी केवल एसपीजी के अधिकारियों को ही होती है। वे राज्य और स्थानीय अधिकारियों से संपर्क में रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर योजना साझा करते हैं।
पहले ही तय हो जाता है रूट
ब्लू बुक के अनुसार, एसपीजी को प्रधानमंत्री के प्रत्येक दौरे से तीन दिन पहले एक अग्रिम सुरक्षा संपर्क दल (Advance Security Liaison Team) भेजना होता है, जिसमें संबंधित राज्य के खुफिया ब्यूरो के अधिकारी, राज्य के पुलिस अधिकारी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट सहित कार्यक्रम की सुरक्षा से जुड़े लोग शामिल होते हैं। एसपीजी द्वारा तय किए गए दोनों मार्गों के लिए राज्य पुलिस से क्लियरेंस ली जाती है, ताकि मार्ग सुरक्षित और खाली रहे और आवश्यकता पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके।
पहले से तय किया जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यक्रम स्थल तक कैसे पहुंचेंगे, आकस्मिक मार्ग कौन-सा होगा, उनके साथ कौन-कौन रहेगा, वे कितनी देर कहां रुकेंगे आदि। प्रधानमंत्री मोदी के काफिले में दो डमी कारें भी चलती हैं। यह एसपीजी ही तय करती है कि वे किस कार में बैठेंगे। इसके साथ ही जैमर एंटीना लगी कारें भी काफिले में शामिल होती हैं, जो 100 मीटर दूर से ही बम को निष्क्रिय करने में सक्षम होती हैं।
यदि प्रधानमंत्री को हवाई मार्ग से यात्रा करनी हो, तो कम से कम 1,000 मीटर की दृश्यता आवश्यक होती है। यदि ऐसा संभव न हो तो प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं, और अगर वह भी संभव न हो तो यात्रा रद्द कर दी जाती है।