हम लोग पेमेंट करने के लिए नकद पैसे या फिर UPI का सहारा लेते हैं. मगर फिर भी कुछ लोग आज भी ऐसे हैं, जो बहुत अधिक मात्रा में कैश का इस्तेमाल करते हैं. छोटे-मोटे अमाउंट पे करने के लिए कैश दिया जा सकता है मगर क्या आप जानते हैं 20000 या उससे ज्यादा की ट्रांजेक्शन के लिए कैश का इस्तेमाल करना अपराध की श्रेणी में आता है. इसके लिए 100 प्रतिशत पेनल्टी देनी पड़ती है यानी 20000 के दंड स्वरूप राशी दोगुनी हो जाएगी.
ऐसा इनकम टैक्स अधिनियम के सेक्शन 271D के तहत होता है. आइए जानते हैं इस नियम का मतलब क्या है.
क्या है Section 271D?
इस नियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति या संस्था धारा 269SS का उल्लंघन करती है, यानी कोई लोन, डिपॉजिट राशि और स्पेसिफाइड सम का लेनदेन कैश में करती है तो उसे जुर्माना देन होता है. इसमें 20000 या उससे अधिक की राशि को नकद के रूप में स्वीकार करना दंडणीय माना जाता है.
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पेनल्टी 271D को समझें
सेक्शन 271D के अंदर पेनल्टी लगाई जाती है, तो जितनी नकद राशि दी जाती है. उतना ही जुर्माने का भी भुगतान किया जाता है. जुर्माना ज्वॉइंट कमीशनर द्वारा लिया जाता है.
दंड कार्यवाही की सीमा क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि आयकर अधिनियम की धारा 271D और 271E के तहत दंड लगाने की कार्यवाही एक निश्चित समय सीमा के बाद नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सीमा अवधि, आयकर अधिनियम की धारा 275(1)(a) के अंतर्गत टैक्स असेसमेंट या अन्य आदेशों के खिलाफ अपील पर निर्भर नहीं करेगी. यानी अपील लंबित रहने के बावजूद जुर्माना लगाने की समय सीमा नहीं बढ़ाई जा सकेगी.
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