H3N2 virus Alert! भारत में एच3एन2 वायरस (H3N2 virus) के कारण होने वाले इन्फ्लुएंजा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड में भी इस वायरस ने दस्तक दी है। हल्द्वानी में 2 मामले सामने आए हैं। इस वायरस से अब तक तीन (गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक ) लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को एहतियाती उपाय करने का सुझाव दिया है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि मास्क का उपयोगकरें, हाथों की साफ़ सफाई रखें, साथ ही साल में एक बार फ्लू का टीका लगवाएं। आईडीएसपी-आईएचआईपी (एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच) पर उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 9 मार्च तक राज्यों द्वारा H3N2 virus सहित इन्फ्लुएंजा के विभिन्न उपप्रकारों के कुल 3,038 मामलों की पुष्टि की गई है। इसमें जनवरी में 1,245 मामले, फरवरी में 1,307 और 9 मार्च तक 486 मामले शामिल हैं।
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घर में हो या बाहर, मास्क पहनें
मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम में एसोसिएट कंसल्टेंट – इंटरनल मेडिसिन, डॉ. सुनील सेकरी ने आईएएनएस से कहा, ‘मेरी राय में सरकार कम से कम अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों जैसे सार्वजनिक परिवहन, अस्पतालों, हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक वाहनों में फिर से मास्क अनिवार्य कर सकती है। लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए, घर में हो या बाहर, मास्क पहनना चाहिए।
हाथ मिलाने से भी संक्रमण फैलने की संभावना
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, ‘श्वसन वायरस बूंदों के माध्यम से फैलता है, जिसका अर्थ है कि स्राव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, और अधिकांश लोग किसी बिंदु पर अपनी नाक और मुंह को छूते हैं या यह स्राव उंगलियों पर रह सकता है और जब वे अन्य लोगों से हाथ मिलाते हैं, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाली इनडोर सभाओं में मास्क पहनने की जरूरत रहती है, क्योंकि संक्रमण फैलने की संभावना रहती है।’
क्या है एच3एन2
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 वायरस, स्वाइन फ्लू (एच1एन1), एच3एन2 और मौसमी विक्टोरिया और यामागाटा वंश के इन्फ्लुएंजा बी वायरस से लेकर परिसंचरण में श्वसन वायरस का संयोजन रहा है। एच3एन2 और एच1एन1 दोनों प्रकार के इन्फ्लुएंजा ई वायरस हैं, जिन्हें आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है।
एच3एन2 के लक्षण
कुछ सबसे आम लक्षणों में लंबे समय तक बुखार, खांसी, नाक बहना और शरीर में दर्द शामिल हैं। लेकिन गंभीर मामलों में लोगों को सांस फूलने और/या घरघराहट का भी अनुभव हो सकता है।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलादा ने कहा, “पिछले तीन सालों से हमने सीखा है कि श्वसन संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है, क्योंकि संक्रमण बाहर जाते हैं और नाक व मुंह से अंदर आते हैं, आपको इस क्षेत्र को कवर करने की जरूरत होती है और वह है मास्किंग। खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर उचित मास्क की जरूरत होती है।’
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उत्तराखंड के सभी अस्पतालों को किया गया अलर्ट
उत्तराखंड के हल्द्वानी में भी एच3एन2 ने अपनी दस्तक दे दी है। यहां हल्द्वानी में राजकीय मेडिकल कालेज की वायरोलाजी लैब में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के दो मामले सामने आए हैं। हालांकि, चिकित्सकों का कहना है कि जितने सैंपल की जांच हुई है, उसकी तुलना में यह संख्या कम है। वहीं एच1एन1 व एच3एन2 से बचाव के लिए सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है।
वायरोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश का कहना है कि सैंपल आ रहे हैं, प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में सबसे पहले कोविड संक्रमण की जांच की सुविधा शुरू हुई थी। बाद में जांच का दायरा बढ़ाया गया और मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू समेत अन्य इंफ्लुएंजा की जांच की सुविधा शुरू की गई। अगस्त-2021 से लैब में करीब 1700 से अधिक सैंपल की जांच हुई है। लेकिन सात मार्च को दो मरीजों की जांच में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के भी आए थे।