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One Nation One Election: ‘एक देश एक चुनाव’ के लिए कमेटी का ऐलान, पूर्व राष्ट्रपति कोविंद होंगे अध्यक्ष

One Nation One Election: देश में एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। इसके लिए सरकार आज अधिसूचना जारी कर सकती है। बता दें कि कल ही सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए 18 से 22 सितंबर तक विशेष […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Sep 1, 2023 10:43
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One Nation One election Government formed Committee
Ram Nath Kovind

One Nation One Election: देश में एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। इसके लिए सरकार आज अधिसूचना जारी कर सकती है।

बता दें कि कल ही सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए 18 से 22 सितंबर तक विशेष सत्र बुलाया है। माना जा रहा है कि इस सत्र में सरकार एक चुनाव पर बिल भी ला सकती है। केंद्र द्वारा बनाई गई कमेटी एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर विचार करने के साथ देश में आम लोगों से भी राय लेगी। वहीं सरकार के इस फैसले को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चैधरी ने कहा कि आखिर अचानक सरकार को एक देश एक चुनाव की जरूरत क्यों पड़ गई।

यह है सत्र बुलाने की प्रकिया

बता दें कि नियमों के अनुसार एक साल में संसद के 3 सत्र होते हैं। बजट, मानसून और शीतकालीन। एक बैठक के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। यानि संसद के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। यहीं नियम राज्य की विधानसभाओं के लिए भी लागू होता है। मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त चलेगा। विशेष सत्र मानसून सत्र के 37 दिन बाद आयोजित हो रहा है। शीतकालीन सत्र नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू होगा।

वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थक है प्रधानमंत्री मोदी

साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत शुरू कर दी थी। संविधान दिवस के मौके पर एक बार पीएम ने कहा था कि आज देश में एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं है। ये भारत की जरूरत है। इसलिए इस मुद्दे पर गहनता से अध्ययन किया जाना चाहिए।

1967 तक साथ हुए थे चुनाव

इस व्यवस्था के अनुसार पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं। आजादी के बाद 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं भंग हो गई। इसके बाद 1970 में लोकसभा भंग कर दी गई। इस वजह से देश में एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

First published on: Sep 01, 2023 10:43 AM

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