Buxar Lok Sabha Election 2024: (अमिताभ ओझा) काशी और मगध के बीच स्थित बक्सर लोकसभा सीट पर 2024 की लड़ाई बड़ी ही दिलचस्प और जबरदस्त है। खेल ऐसा है कि यहां कौन जीतेगा और कौन हारेगा कहना बेहद ही मुश्किल है। हालांकि बक्सर की जनता 1 जून को इवीएम का बटन दबाने के लिए तैयार है। यह भी निश्चित है कि दिल और दिमाग में कोई न कोई चेहरा जरूर होगा, जिसपर इवीएम का बटन दबेगा।
2019 में जीते थे अश्वनी चौबे
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा बक्सर राजनीति के लिहाज से बेहद अहम है। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे बक्सर ने हर किसी को मौका दिया है। चाहे आरजेडी हो बीजेपी हो या काम्युनिस्ट पार्टी हो। हालांकि 1996 के बाद से यहां सिर्फ 2009 को छोड़कर अब तक बीजेपी का ही कब्ज़ा रहा है। 1996 में पहली बार बीजेपी को सफलता दिलाने वाले लालमुनी चौबे लगातार चार बार यहां से सांसद रहे थे। 2004 तक लालमुनी चौबे सांसद रहे। 2009 में उन्हें आरजेडी के जगतानंद सिंह ने हराया था। लेकिन फिर 2014 और 2019 में अश्वनी चौबे यहां से जीते।
अश्वनी चौबे का कटा टिकट
मगर इस बार चेहरे बदल गए है या यूं कहें कि बुजुर्ग की बजाए युवाओं को मौका दिया गया है। 24 के चौसर में मैदान में 13 उम्मीदवार है। आरजेडी ने जहां अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे और पूर्व क़ृषि मंत्री सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है। तो बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे का टिकट काटकर गोपालगंज के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सुधाकर सिंह इस बक्सर लोकसभा में आने वाले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक भी है।
निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ाई चुनौती
चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरे आनंद मिश्रा और ददन पहलवान भी एनडीए और इण्डिया दोनों गठबंधन के उम्मीदवार की परेशानिया बढ़ा रहे हैं। आनंद मिश्रा असम कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे है। बक्सर से सटे शाहपुर के रहनेवाले हैं। चुनाव लड़ने के लिए आईपीएस की नौकरी छोड़कर मैदान में उतरे हैं। उम्मीद थी बीजेपी से टिकट मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इनके अलावा बीएसपी के उम्मीदवार अनिल कुमार भी खेल बिगाड़ने में लगे है।
बक्सर का जातीय समीकरण
बक्सर लोकसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र माना जाता है। बक्सर संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख छह हजार चार मतदाता हैं। जिनमें 95385 पुरुष मतदाता तो 852125 महिला मतदाता हैं। वहीं 26 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं। यहां ब्राह्मण सबसे ज्यादा 18 प्रतिशत है। जब कि भूमिहार 12%, राजपूत 10%, यादव 16%, कोइरी 8%, कुर्मी 5%, मुस्लिम 5% एस सी एसटी 12% हैं। ब्राह्मण बहुल इलाका होने के कारण ही यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में उतरते रहे हैं। चार बार चुनाव जीतकर लालमुनी चौबे ने इस सीट पर ब्राह्मणों के दावे को और मजबूत कर दिया। ब्राह्मण बहुल बक्सर सीट पर लालमुनी चौबे चार बार सांसद रहे तो अश्वनी चौबे दो बार। इस बार फिर मैदान में मिथिलेश तिवारी बीजेपी ने उतारा है। यहां जातीय समीकरण ऐसा है कि ब्राह्मण उम्मीदवारों का पलड़ा भारी रहा है। जब कि राजपूत जाति से आने वाले सुधाकर सिंह को अपने स्वजातीय वोटो के अलावा माय समीकरण पर भरोसा है।