Bharat Ratna Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने मंगलवार को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया। यह ऐलान उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न न केवल महान जननायक के अतुलनीय योगदान का सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर के दूरदर्शी नेतृत्व और अटूट प्रतिबद्धता ने देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर अमित छाप छोड़ी है।
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
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सादगी की मिसाल थे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर सादगी की मिसाल थे। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन इसके बावजूद जब उनका निधन हुआ तो उनके पास अपना खुद का एक घर भी नहीं था। उन्हें लोग ‘गरीबों का ठाकुर’ कहते थे। हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने संस्मरण में लिखा कि कर्पूरी ठाकुर की आर्थिक तंगी को देखते हुए देवीलाल ने पटना में अपने एक हरियाणवी मित्र से कहा था कि कर्पूरी जी कभी आपसे 5-10 हज़ार रुपये मांगें तो दे दीजिएगा। यह मेरे ऊपर आपका कर्ज रहेगा। हालांकि, बाद में देवीलाल ने अपने मित्र से कई बार पूछा कि ठाकुर ने कुछ मांगा तो मित्र का हर बार जवाब यही रहता कि वे तो कुछ मांगते ही नहीं हैं।
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26 महीने तक जेल में रहे
जननायक कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक भी थे। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे 26 महीने तक जेल में रहे। वे हमेशा गरीबों के अधिकार के लिए लड़ते रहे। सीएम बनने पर उन्होंने पिछड़ों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिया।
‘सामाजिक न्याय’ के पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत उनकी 100 वीं जयंती के अवसर पर भारत रत्न देने की घोषणा करने पर देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी का आभार व्यक्त करता हूं।
जननायक कर्पूरी ठाकुर जी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को मान-सम्मान दिलाने… pic.twitter.com/TpncR9rWA9— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) January 23, 2024
कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब हुआ?
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था। इस गांव को अब लोग कर्पूरीग्राम के नाम से जानते हैं। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था । पिता एक सीमांत किसान थे।
1952 से नहीं हारे कोई विधानसभा चुनाव
जननायक कर्पूरी ठाकुर ने पहला विधानसभा चुनाव 1952 में समस्तीपुर जिले के ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा और जीत दर्ज की। उनकी उम्र तब 31 साल की थी। इस चुनाव के बाद उन्होंने कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं हारा। एकमात्र हार उन्हें 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में मिली थी।
"एक बार घर बनवाने के लिए 50 हज़ार ईंटें भेजी गईं कर्पूरी ठाकुर के पास। कर्पूरी ठाकुर ने उन ईंटों से स्कूल बनवा दिया।"
"चुनाव लड़ना हुआ, पैसे नहीं थे तो चंदा लिया। पर तय किया कि किसी से भी दो रुपयों से अधिक चंदा नहीं लेंगे।"
जीवनपर्यंत गरीबों की भलाई के लिए काम करने वाले कर्पूरी… pic.twitter.com/TeIxRakNSG
— Neeraj Jha (@neeraj_jhaa) January 23, 2024
बिहार के दो बार रहे सीएम
कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार सीएम रहे। वे 22 दिसंबर 1970 से दो जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक सीएम रहे। ठाकुर लोकनायक जयप्रकाश नारायण और समाजवादी चिंतक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वहीं, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी इन्हें अपना गुरु मानते थे।
#WATCH दिल्ली: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने पर भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने वो ऐतिहासिक काम कर दिखाया जो आज तक कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया। अति पिछड़ों की लड़ाई लड़ने वाले कर्पूरी जी को एक दूसरे अति पिछड़े के बेटे नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न की… pic.twitter.com/CPzpG6i9oN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 23, 2024
ऐसा जननायक मिलना मुश्किल
आज जब करोड़ों रुपये के घोटालों में नेताओं के नाम उछलते हैं तो ऐसे में विश्वास करना मुश्किल होता है कि कर्पूरी ठाकुर जैसे जननायक भी इस देश में हुए। उनकी ईमानदारी के किस्से आज भी काफी मशहूर हैं।
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