Bengal Panchayat polls: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) की ओर से एक संयुक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। हालांकि देश की शीर्ष अदालत मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। लेकिन यहां जानना जरूरी है कि आखिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंचा है?
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग की ओर से पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान किया गया था। राज्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया की ओर से पूछा गया था क्या इन चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती होगी? इस पर आयुक्त की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी।
सीएम ममता को आशंका, प्रभावित होगा चुनाव
यह भी पूरी तरह से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और केंद्र की भाजपा सरकार एक दूसरे की घोर विरोधी हैं। ऐसे में राज्य सरकार को आशंका है कि केंद्रीय बलों की तैनाती से चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। वहीं राज्य की भाजपा इकाइयों का कहना है कि शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती जरूरी है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यहां तक कहा गया है कि हाल ही में पंचायत चुनावों के लिए चली नामांकन प्रक्रिया में भी हिंसा हुई है। इनमें अभी तक कुल सात लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि सीएम ममता बनर्जी का कहना है कि एक या दो छुटपुट घटनाएं सामने आई हैं। इन्हीं को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने 48 घंटे में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश राज्य चुनाव को दिया था।
सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से राज्य के कानूनी सलाहकारों के साथ बैठक करने के बाद चुनाव निकाय और राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को 48 घंटे के भीतर बलों की तैनाती के लिए केंद्र को एक पत्र भेजने का निर्देश दिया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश
हाईकोर्ट ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने के 13 जून के आदेश के बाद से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। कोर्ट ने 13 जून को एसईसी द्वारा संवेदनशील घोषित क्षेत्रों और जिलों में तत्काल केंद्रीय बलों की मांग और तैनाती का निर्देश दिया था।
उधर, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्षी नेताओं ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि राज्य में 2022 में नगरपालिका चुनाव और 2021 में कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।
नामांकन के दौरान हुई हिंसाएं, 7 की मौत
बता दें कि पश्चिम बंगाल में अगले महीने होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से झड़पों की कई घटनाओं की सूचना मिली थी, क्योंकि पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
पिछले नौ दिनों में हिंसा के कारण राज्य में सात लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में पंचायत चुनाव नामांकन प्रक्रिया शांतिपूर्ण है। टीएमसी सुप्रीमो ने एक या दो छिटपुट घटनाओं को मुद्दा बनाने की कोशिश करने के लिए विपक्षी दलों की भी आलोचना की।