Difference Between Lawyer and Advocate: कहते हैं कि जिंदगी में वकील, डॉक्टर और पुलिस की जरूरत ना पड़े तो ही अच्छा है. लेकिन भारत में हर दिन हजारों मामले कोर्ट की दहलीज तक आते हैं, जिनमें से कई की तो वर्षों से सुनवाई चल रही है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में वकील और एडवोट के बीच अंतर को लेकर बहस हुई, जिसकी सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कुछ ऐसा जवाब दिया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने जवाब में कहा कि ‘इन-हाउस वकील’ भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत एडवोकेट नहीं माने जाएंगे. अब अगर आपको नहीं पता कि ‘इन-हाउस वकील’ किन्हें कहा जाता है, तो इस खबर को पूरा पढ़ना बेहद जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए इन-हाउस वकीलों को एडवोकेट मानने से इनकार कर दिया. उच्चतम न्यायालय का यह फैसला देश की जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को बुलाने पर आया है, जिसे लेकर कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इन-हाउस वकील अटॉर्नी-क्लाइंट विशेषाधिकार (Attorney-Client Privilege) के हकदार नहीं हैं, क्योंकि वो अदालत में बाकी वकीलों की तरह प्रैक्टिस नहीं करते. अब सवाल आता है कि आखिर इन-हाउस वकील किन्हें कहते हैं और वो कौन लोग होते हैं. क्या ऐसे वकील अन्य वकीलों की तरह सभी केस लड़ते हैं, या उन्हें किसी खास मामलों में ही हायर किया जाता है. आइए जानते हैं.
कौन होते हैं इन-हाउस वकील?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन-हाउस वकील उन्हें कहा जाता है, जो किसी कंपनी के अंदर या उनके लिए कर्मचारी के तौर पर काम करते हैं. ऐसे वकील सिर्फ अपनी कंपनी के कानूनी मामलों को संभालते हैं. ऐसे वकीलों को एडवोकेट ना कहे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बीआर गवाई की पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने इस फैसले को लिखा है. इस सुनवाई में सबसे अहम सवाल ये भी था कि क्या हर कानून की डिग्री रखने वाला व्यक्ति ‘वकील’ या ‘एडवोकेट’ होता है. इसके जवाब में भी कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसा जरूरी नहीं है. जो लोग कानून की डिग्री अपने पास रखते हैं वो सलाहकार और वेतनभोगी कर्मचारी होते हैं, जिन्हें इन-हाउस वकील कहा जाता है.










