Myanmar Slavery Case: थाईलैंड में नौकरी पाने की लालच में 20 भारतीय बुरी तरीके से फंस गए हैं। फ्रॉड का शिकार हुए भारतीयों को थाईलैंड की बजाए म्यांमार ले जाया गया, जहां उनके हालात बद से बदतर हो गए हैं। सभी ने भारतीय विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। मगर विदेश मंत्रालय की तरफ से अभी तक मामले पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
1 भारतीय की मौत
दरअसल मामले से जुड़े 2 वीडियो इंटरनेट पर ट्रेंड कर रहे हैं। काम की तलाश में भारत से थाईलैंड जाने वाले युवकों को म्यांमार में बंदी बना लिया गया है। 20 भारतीयों में से किसी एक ने वीडियो बनाकर सच्चाई सभी के सामने रखी है। वीडियो के अनुसार उनमें से 1 भारतीय की मौत हो गई है और एक लड़की के सर में गंभीर चोटें लगी हैं।
कुलदीप कुमार ने जारी किया वीडियो
20 भारतीयों में से एक कुलदीप कुमार ने वीडियो में खुलासा किया कि इस फ्रॉड में किसी दुबई बेस्ड एजेंट का हाथ था। कुलदीप ने दोनों वीडियो शेयर करते हुए बताया कि म्यांमार में काफी बुरे हालात हैं। हर रोज हमारा शोषण किया जाता है। जो काम करने से मना करता है उसके साथ बुरा बर्ताव होता है। अगर हमें यहां से बाहर निकालने के लिए कोई आगे नहीं आया तो हम गलत कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने नहीं दिया जवाब
83 सेकेंड के इस वीडियो में कुलदीप ने कहा कि हमारे परिवार ने विदेश मंत्रालय से बात करने की कोशिश की और सोशल मीडिया पर हमारा वीडियो भी वायरल हो गया। लेकिन इसके बवाजूद विदेश मंत्रालय से कोई जवाब सामने नहीं आया है। हमारे साथ मौजूद एक आदमी मर चुका है और एक लड़की की बुरी तरीके से पिटाई की गई, जिससे उसके सिर में गहरी चोट आ गई है। अगला नंबर हमारा हो सकता है। या तो वो हमें मार डालेंगे या फिर हमें ही कोई बड़ कदम उठाना पड़ेगा।
18 घंटे करवाते हैं काम
कुलदीप ने बताया कि हमें 18 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और खाने के नाम पर सिर्फ 2 कटोरी चावल मिलता है। अगर किसी ने कुछ बोला तो उसे सजा मिलती है। हमें बुरी तरह से पीटा जाता है और सजा के रूप में 10 किलोमीटर तक दौड़ाया भी जाता है।
कलदीप के भाई ने सुनाई आपबीती
कुलदीप के भाई राहुल कुमार के अनुसार कुलदीप ने चोरी-छिपे ये वीडियो रिकॉर्ड किया था। वो 22 अप्रैल को सहारनपुर से दिल्ली गया और वहां से बैंकॉक के लिए रवाना हुआ था। हालांकि बैंकॉक की बजाए उसे म्यांमार के जंगलों में मौजूद मी शॉट एयरपोर्ट पर ले जाया गया। जहां उनसे मजदूरों की तरह काम करवाया जाता है और जबरन उनसे ऑनलाइन फ्रॉड ऑपरेशन चलवाए जाते हैं। राहुल का कहना है कि कंपनी ने बताया कि सभी भारतीयों को 7,500 डॉलर में खरीदा गया है और कंपनी की लोकेशन एयरपोर्ट से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है।