पाकिस्तान को जंग में बुरी तरह हराने के बाद 19 मार्च 1972 के दिन भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक मैत्री संधि हुई थी। इतिहास में इस बात का जिक्र है कि पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में लोगों पर कितने जुल्म किए थे? हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। हजारों औरतों के साथ दुष्कर्म किया गया। भारत की मदद से तब बांग्लादेशी लोगों ने पाकिस्तान को हरा दिया था। भारत के सामने 1971 में पाकिस्तान ने 93 हजार सैनिकों के साथ सरेंडर किया था। इसके बाद भारत ने ही सबसे पहले पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश नाम के नए देश के तौर पर मंजूरी दी थी। भारत और बांग्लादेश ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती और अच्छे संबंधों की नींव डली।
तख्तापलट के बाद संबंधों में आई खटास
इस संधि के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग का नया दौर शुरू हुआ। आज इस बात को लगभग 53 साल बीत चुके हैं। बीते कई सालों में दोनों देशों के बीच कई उतार-चढ़ाव आए हैं। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट और उनके भारत में शरण लेने के बाद संबंधों में कुछ खटास आई है। पाकिस्तान से जंग खत्म होने के बाद बांग्लादेश में आवामी लीग की सरकार बनी थी। उस सरकार ने भारत को ध्यान में रखते हुए नीतियां लागू की थीं।
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1971 से 1975 के बीच भारत और बांग्लादेश के संबंध बेहद मजबूत रहे। मैत्री संधि में जिन साझे मूल्यों का जिक्र किया गया, उनमें उपनिवेशवाद की निंदा और गुटनिरपेक्षता का मुद्दा अहम था। दोनों देशों ने आपस में वायदा किया था कि वे सांस्कृतिक, कला और साहित्य के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे।
On this day
March 19, 1972: India and Bangladesh signed the Treaty of Peace and Friendship.#onthisday #india #bangladesh #IndiraGandhi pic.twitter.com/lhGw15L5rF
— Diplomacy & Beyond Plus (@diplomacybeyond) March 19, 2020
दोनों देश मिलकर करेंगे काम
बता दें कि इस मैत्री संधि में अनुच्छेद 9 का जिक्र भी है। इसमें उल्लेख है कि दोनों देश मिलकर नदी आयोग का गठन करेंगे, जिससे दोनों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर नियम निर्धारित होंगे। वहीं, दोनों देश मिलकर बाढ़ से बचाव, पनबिजली विकास और नदी के घाटी क्षेत्र को लेकर मिलकर काम करेंगे। एक समय भारत और बांग्लादेश के संबंध दुनिया के लिए मिसाल माने जाते थे।
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