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क्या है Zombie Deer Disease? क्या इंसानों को कर सकती है प्रभावित, जानें एक्सपर्ट्स की राय

What Is Zombie Deer Disease: हिरणों की स्थिति किसी जॉम्बी की तरह कर देने वाली यह बीमारी आखिरकार उनकी जान ले लेती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बीमारी इंसानों में फैल सकती है? क्या कोरोना वायरस के बाद एक और वैश्विक महामारी के रूप में एक बार फिर दुनिया की रफ्तार रोक सकती है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Feb 20, 2024 13:30
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Deer in a grass field
Representative Image (Pixabay)

What Is Zombie Deer Disease in Hindi : कनाडा के वैज्ञानिकों ने जॉम्बी डियर डिजीज नाम के एक घातक इंफेक्शन के प्रसार को लेकर चिंता जताई है। उन्हें डर है कि आने वाले समय में इंसान भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इस बीमारी का असली नाम क्रॉनिक वेस्टिंग डिजीज है। यह ऐसी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है जो हर उस जानवर की जान ले लेती है जो इससे संक्रमित होता है। अमेरिका में हिरणों के बीच यह बीमारी इस समय तेज रफ्तार से फैल रही है।

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रिपोर्ट्स के अनुसार कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया ने इसके प्रसार को बढ़ने से रोकने के लिए एक स्ट्रैटेजी जारी की है। जनवरी के अंत में यहां इस बीमारी के दो मामले सामने आए थे। इसके बाद से ही यहां के अधिकारी इस पर तेजी से काम कर रहे हैं। उन्होंने सड़क पर मारे गए हर हिरण, मूस, एल्क या कैरिबू की टेस्टिंग करने के आदेश जारी किए हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए एक्सपर्ट्स इन सवालों पर क्या कहते हैं कि यह बीमारी आखिर क्या है और क्या यह इंसानों को भी बीमार कर सकती है।

किस वजह से होती है ये बीमारी

क्रोनिक वेस्टिंद डिजीज या जॉम्बी डियर डिजीज मिसफोल्डेड प्रोटीन्स की वजह से होती है। जब प्रोटीन सही आकार में फोल्ड नहीं हो पाते हैं तो उन्हें प्रायंस कहा जाता है। संक्रमण के बाद ये प्रायंस पूरे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में पहुंच जाते हैं और ब्रेन टिश्यूज व अन्य अंगों पर असर डालते हैं। इसकी चपेट में आने वाले हिरणों का खुद से नियंत्रण खत्म हो जाता है। उनकी लार टपकती रहती है, वो कमजोर हो जाते हैं वो लड़खड़ाते हैं और एक ही ओर घूरते रहते हैं। इसीलिए इसे यह नाम दिया गया।

क्या इंसानों के लिए भी है खतरा

कनाडा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अभी इस बात का कोई सीधा सबूत नहीं मिला है कि यह बीमारी इंसानों को हो सकती है। लेकिन, एक रिपोर्ट के अनुसार यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी के वेटरिनरी स्कूल के हरमान शात्ज्ल के अनुसार इसे लेकर की गई एक रिसर्च में इस बात के संकेत मिले थे कि प्राइमेट्स के बीच इस बीमारी का ट्रांसमिशन संभव है। भले ही अभी इंसान इससे बचे हुए हैं लेकिन इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि आने वाले समय में वह इसकी चपेट में आएंगे।

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Written By

Gaurav Pandey

First published on: Feb 20, 2024 01:30 PM

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