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क्या COVID से ठीक हो चुके मरीज कर सकते हैं अंग दान? महामारी के बाद क्या-क्या बदला

World Organ Donation Day: हर साल 13 अगस्त को वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच अंगदान को बढ़ावा देना है। इस वर्ष की थीम आंसरिंग द कॉल है। क्या कोरोना से पीड़ित रह चुके मरीज अपने अंगों का दान कर सकते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Aug 13, 2025 10:56

World Organ Donation Day: कोरोना महामारी के बारे में जब भी लोग बात करते हैं तो मन में सिर्फ 1 ही बात आती है ‘डर’। कोरोना एक ऐसा वायरस था जिसने किसी 1 देश को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा था। ऐसे में इस बीमारी से डरना लाजमी है। आज विश्व अंगदान दिवस है। इस दिन की शुरुआत अंग का दान कर लोगों के जीवन को बचाने के लिए हुई थी।

ऐसे में जानते हैं कि क्या कोविड से ठीक हो चुके लोग सुरक्षित रूप से अपनी किडनी या लिवर का दान कर सकते हैं? क्या वायरस अब भी उनके शरीर में मौजूद हो सकता है, जो उनके अंगों को नुकसान पहुंचा रहा हो? आइए जानते हैं इस पर एक्सपर्ट की राय।

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क्या कहते हैं डॉक्टर?

आकाश हेल्थकेयर के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. अजीत सिंह के मुताबिक, कोरोना से ठीक हो चुके लोग सुरक्षित रूप से अपने अंग का दान कर सकते हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने इस वायरस और इसके असर को समझने में काफी लंबे समय तक स्टडी की है। इसके लिए उन्होंने एक डोनर जो ठीक हो चुका है और जिसका टेस्ट नेगेटिव है। उसके अंगों को रिप्लेस करवाया गया, जो सफलतापूर्वक हुआ है।

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स्टडी में भी हुआ खुलासा

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, सेंट लुइस की एक स्टडी में पाया गया कि पहले कोविड पॉजिटिव रहे डोनर्स की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सुरक्षित रूप से की जा सकती है। इस अध्ययन ने पुष्टि की कि डोनर से अंग लेने वाले मरीज में इस वायरस का कोई संक्रमण या उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ है।

अंग लेने पर लगी थी रोक

डॉ. बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कई अस्पतालों ने संक्रमित या ठीक हो चुके मरीजों से अंगदान लेना बंद कर दिया था। कोविड ने मेडिकल जगत को हिला दिया था और हमें बेहद सावधान रहने के लिए सतर्क कर दिया था। मगर अब स्थिति बदल गई है और यह साबित हो चुका है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है। यह डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए राहत की बात है, जो लंबे समय से ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में थे।

ट्रांसप्लांट करने वाला तीसरा बड़ा देश भारत

अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर भारत में ही सबसे ज्यादा ऑर्गन ट्रांसप्लांट होता है। मगर इसके बावजूद भी प्रति दस लाख लोगों पर ट्रांसप्लांट की संख्या में कमी है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 2 लाख से ज्यादा लोग एंड-स्टेज किडनी फेलियर से जूझते हैं। इस मेडिकल इमरजेंसी में किडनी ट्रांसप्लांट सबसे ज्यादा जरूरी होता है लेकिन भारत में केवल 11,000 किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं। ऐसे में इसकी मांग और दान के बीच बहुत बड़ा अंतर रह जाता है।

ट्रांसप्लांट न होने की बड़ी वजह क्या है?

देश में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की कमी का सबसे बड़ा कारण अंगदाताओं की कमी है। अंगों को ग्रामीण इलाकों या छोटे शहरों तक पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, डॉक्टर बताते हैं कि भारत में अधिकांश ट्रांसप्लांट अब भी प्राइवेट अस्पतालों में होते हैं, जिस वजह से गरीब लोग इससे वंचित रह जाते हैं।

क्या अंग दान करने से कोई नुकसान होता है?

हालांकि, अंग दान करने से लोगों को कोई नुकसान नहीं होता है। दरअसल, अधिकतर लोग अंगदान मृत्यु के बाद करते हैं, जो कि पूर्णता सुरक्षित होता है। मगर कुछ अंगों का दान लोग जीवित रहते हुए भी कर सकते हैं। इनमें किडनी, लिवर का हिस्सा, बोन मैरो और खून आदि का दान किया जाता है। इसमें कुछ जोखिम हो सकते हैं जैसे कमजोरी, दर्द या फिर एनेस्थीसिया से संबंधित कोई इंफेक्शन होना।

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First published on: Aug 13, 2025 10:56 AM

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