Throat Pain Causes: मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी और जुकाम होना और इसके कारण गले में खरास या दर्द होना नॉर्माल बात है। इस स्थिति में गर्म पानी पीने या गरारे करने से थोड़े टाइम में ये सही भी हो जाता है। लेकिन, आपको अक्सर गले में खरास रहती है या पानी पीने और खाना निगलने में दिक्कत (Dysphagia) होती है, तो इस समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
दरअसल, यह डिस्फेजिया जैसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इसलिए भूलकर भी इसके लक्षणों को अनदेखा न करें। क्योंकि टाइम रहते अगर इसका उपचार न हो तो आगे चलकर ये परेशानी और भी गंभीर हो सकती है।
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डिस्फेजिया क्या है
आपको बता दें, अगर आपको थूक, पानी पीने या खाना निगलने में परेशानी होती है, तो आपको डिस्फेजिया की बीमारी हो सकती है। किसी भी व्यक्ति को डिस्फेजिया तब होता है जब खाने की नली पूरी तरह बंद हो जाए या उसका जाने का रास्ता पतला हो जाए। इसके अलावा डिस्फेजिया खतरनाक रूप तब ले लेता है जब खाने की नली में ट्यूमर हो जाए। कई बार ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और ऐसी स्थिति में मरीज को कोई भी सूखा खाना खाने में भी समस्या होने लगती है। यहां तक की मरीज लार तक नहीं निगल पाता है। पानी या लार तक न निगल पाना भी एक संकेत है कि खाने की नली में कैंसर हो सकता है।
Dysphagia (निगलने में कठिनाई) क्यों होती है, समझें Dr. Piyush Ranjan Gastroenterologist at Sir Ganga Ram Hospital, New Delhi इस Video के जरिए-
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डिस्फेजिया के लक्षण
- खाना या पानी, थूक, लार निगलने में परेशानी होना।
- बार-बार वोमिटिंग होना।
- खाना गले में चिपक सा लगना।
- गले में खाना अटक जाना।
- खाना खाने के साथ खांसी की परेशानी होना।
खाना खाते समय निगलने में होती है दिक्कत?, समझें Dr Ashish Sachan-Surgical Gastroenterologist इस Video के जरिए-
युवाओं में ये बीमारी मांसपेशियों के खिंचाव के कारण होती है। ऐसे में गले में ऐसे किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर सबसे पहले ये जरूरी टेस्ट करवाएं।
एंडोस्कोपी (Endoscopy)
डिस्फेजिया या गले में कैंसर होने पर फ्लेक्सिवक ट्यूब की हेल्प से एंडोस्कोपी की जाती है। यह एक ट्यूब होता है, जिसके एक ओर कैमरा लगा होता है। ऐसे में ट्यूब के पहला सिरा मरीज के मुंह में डाला दिया जाता है और इलाज किया जाता है। यह टेस्ट 2 से 3 मिनट के अंदर किया जाता है और यह एक सिंपल टेस्ट है, इससे घबराना नहीं चाहिए।
बायोप्सी (Biopsy)
बायोप्सी तब की जाती है जब पता लगाना होता है कि मरीज का कैंसर किस टाइप का है। इसके साथ ही यह टेस्ट डॉक्टर इसलिए करते हैं ताकि ट्यूमर के साइज का पता लगाकर इलाज किया जा सके।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।