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Yoga For Uric Acid: यूरिक एसिड को कम करने के लिए ये पांच योगासन हैं रामबाण, जानें

Yoga For Uric Acid: किसी भी इंसान का खानपान यूरिक एसिड की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। आजकल लोग जिस तरह के खाने के शौकिन हैं, उससे यूरिक एसिड का बढ़ना बहुत ही आम-सी बात है। यूरिक एसिड को योगासन से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता हैं, तो चलिए जान […]

Edited By : Nancy Tomar | Updated: Mar 17, 2023 14:39
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Yoga For Uric Acid
Yoga For Uric Acid

Yoga For Uric Acid: किसी भी इंसान का खानपान यूरिक एसिड की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। आजकल लोग जिस तरह के खाने के शौकिन हैं, उससे यूरिक एसिड का बढ़ना बहुत ही आम-सी बात है।

यूरिक एसिड को योगासन से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता हैं, तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कौन-से योगासन बेहतर हैं।

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इन 5 योगासन से कंट्रोल हो सकता है यूरिक एस‍िड

1. भुजंगासन नियंत्रित करता है यूरिक एस‍िड

जिन लोगों को यूरिक एस‍िड के बढ़ने की परेशानी हैं, उनके लिए भुजंगासन एक सरल और बेहतर ऑप्शन हैं। इसके करने के लिए आपको कोबरा की तरह लेट होता हैं।

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आप पेट के बल लेटे और अपनी हथेली को कंधे की सीध में लाएं और धीरे धीरे ऊपर की ओर उठें, धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें, ध्यान रहे कि इस अवस्था में खिंचाव शरीर के आगे के भाग से नाभी तक जाए।

इसके बाद धीरे से सांस छोड़ते हुए वापस उसी मुद्रा में आ जाएं। इस क्रिया शुरू में आप 3 से 4 बार दोहरा सकते है।

2. उष्ट्रासन भी बेहतर ऑप्शन

उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले आप घुटनों के बल बैठ जाएं और अपनी जांघों और पैरों को चिपकाकर रखें। इसके बाद पंजे पीछे की ओर हो और फर्श में रखे हुए हो।

अपने हाथों को धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जाएं और एक ऊंट की मुद्रा में आ जाएं। इस प्रक्रिया को भी 3 से 4 बार करें और ध्यान रहे कि आसन के समय नाभि पर जोर पड़े।

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3. त्रिकोणासन भी मददगार

त्रिकोणासन करने के लिए आपको सीधे खड़े होना है और दोनों हाथों को सावधान की मुद्रा में ले जाएं। धीरे धीरे अपने पांव खोलें और दाहिने हाथ को सर के पीछे से बांए कान की तरफ ले जाएं। इसी प्रकार बांए हाथ को दाएं कान की तरफ ले जाएं, लेकिन ध्यान रहे कान छूना नहीं है।

हाथ को सीधा रखना है और कान की दिशा में धीरे-धीरे झुकना है। इसके करते समय आपके पांवों के बीच 2 से 3 फिट का फासला जरूरी है।

इसके साथ ही हाथ और पांव एकदम सीधे होने चाहिए। धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए वापस अपनी अवस्था में आ जाएं और ऐसे ही इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार करें।

4. पवनमुक्तासन भी फायदेमंद

पवनमुक्तासन करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं और अपने पांवों को फैलाते हुए ऊपर की तरफ ले जाएं।

साथ ही अपने हाथों से घुटनों को घेरकर पकड़ लें और घुटनों से ठोड़ी को छूने की कोशिश करें और धीरे धीरे वापस पांव नीचे रख लें। इस अवस्था में ध्यान रहे कि जोर आपकी नाभी में पड़े और इसे 3 से 4 बार करना हैं।

5. मण्डूकासन भी कारगर

मण्डूकासन करने के लिए आपको घुटनों के बल बैठकर अपने सिर को आगे की तरफ ले जाना है और अपनी गर्दन और सिर को धीरे धीरे उठाएं और नजर सामने रखें, यह ध्यान रखें कि नाभि में खिंचाव महसूस हो।

इस मुद्रा में धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे छोड़ें, फिर वापस सीधे बैठ जाएं। इस क्रिया को भी 3 से 5 बार दोहराना है।

Disclaimer: संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है। न्यूज24 इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि इसके बारे में चिकित्सीय सलाह जरूर लें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।

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Edited By

Nancy Tomar

Edited By

Manish Shukla

First published on: Mar 16, 2023 04:34 PM

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