UNESCO: जापान की 1000 साल पुरानी शराब अब UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल हो गई है, जिससे यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धि बन गई है। इस शराब का नाम “साके” है, जो जापान की प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक मानी जाती है। यह शराब न केवल जापान के त्योहारों और अनुष्ठानों में अहम भूमिका निभाती है, बल्कि इसके निर्माण की प्रक्रिया भी बेहद मुश्किल है। UNESCO द्वारा इसे सांस्कृतिक धरोहर घोषित किए जाने से यह शराब अब पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर बन गई है।
इसे बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए पीते थे लोग
जापान के फेमस चावल से बनी शराब साके को हाल ही में UNESCO की “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” (Intangible Cultural Heritage of Humanity) की लिस्ट में शामिल किया गया है। यह ड्रिंक जापान की संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुका है और जापान के सामाजिक और धार्मिक जीवन में इसका खास महत्व है। जापान में इस शराब का इतिहास बहुत पुराना है। इतिहासकारों का मानना है कि साके की शुरुआत लगभग 1000 साल पहले हुई थी जब इसे 8वीं शताबदी से पिया जा रहा है, शुरुआती समय में इसे बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली ड्रिंक माना जाता था। लेकिन बाद में इसे जापान के मशहूर 11वीं सदी के उपन्यास “द टेल ऑफ जेनजी” में एक खास ड्रिंक के रूप में दिखाया गया था। जापान के UNESCO के राजदूत ताकाहिरो कानो ने साके को जापान की संस्कृति का “दिव्य उपहार” कहा और इसके महत्व को बताया।
कैसे बनती है ये शराब
साके के निर्माण की प्रक्रिया भी बेहद दिलचस्प और मेहनत भरी होती है। इसके बनाने के लिए मुख्य रूप से चावल, पानी, यीस्ट और कोजी (चावल का फंगस) का उपयोग किया जाता है, जो चावल के स्टार्च को शक्कर में बदलने का काम करता है, ठीक वैसे जैसे बीयर बनाने में मॉल्टिंग होती है। बता दें साके का उत्पादन दो महीने लंबी प्रक्रिया है, जिसमें चावल को स्टीम करना, फिर उसे हर घंटे में हिलाना और अंत में उसे दबाकर साके बनाना शामिल होता है। यह प्रक्रिया न केवल समय लेती है बल्कि शारीरिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होती है। साके जापान के त्योहारों और धार्मिक आयोजनों का अभिन्न हिस्सा है और इसे अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के प्रतीक के रूप में पिया जाता है।
अमेरिका और चीन में काफी बिकती है ये शराब
इसके अलावा साके का निर्यात भी एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है। जापान में हर साल $265 मिलियन यानी 2,199.5 करोड़ रुपए से अधिक का साके का निर्यात होता है, जिसमें अमेरिका और चीन प्रमुख बाजार हैं। जापानी साके निर्माता संघ के अनुसार, जापान में साके का व्यापार लगातार बढ़ रहा है और इसके निर्यात से जापान की अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ हो रहा है। यह सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि जापान की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है, जिसे अब पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है।