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Sharda Sinha किस बीमारी से पीड़ित थीं? जानें कितनी खतरनाक और क्या हैं शुरुआती संकेत

Multiple Myeloma: बिहार की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है। सिंगर मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से जूझ रही थीं। जानिए, क्या है यह बीमारी और इसके शुरुआती संकेत।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Nov 6, 2024 07:38
Sharda Sinha
फोटो क्रेडिट- Google

Multiple Myeloma: छठ महापर्व के पहले दिन यानी 5 नवंबर को मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा का दिल्ली एम्स में निधन हो गया है। वह 72 साल की थीं और मैथिली-भोजपुरी के साथ-साथ अपने छठ के गीतों के लिए जानी जाती थीं। अस्पताल की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि सिंगर को सेप्टीसीमिया के कारण रिफ्रैक्टरी शॉक के चलते मौत हुई थी। दरअसल, शारदा सिन्हा पिछले महीने ही एम्स के कैंसर संस्थान में शिफ्ट की गई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंगर मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से जूझ रही थीं। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में और क्या हैं इसके संकेत।

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क्या है मल्टीपल मायलोमा?

सिंगर मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से जूझ रही थीं। यह बीमारी एक प्रकार का ब्लड कैंसर है। इस बीमारी में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और उन कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं, जिससे हड्डी, किडनी और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है। यह अस्थि मज्जा का प्लाज्मा वाला कैंसर है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो यह बढ़ती उम्र में होने वाली एक बीमारी है, जिसमें व्हाइट ब्लड सेल्स प्रभावित होती हैं।

कैसे हैं इसके संकेत?

मल्टीपल मायलोमा के शुरुआती संकेतों में हड्डियों में दर्द, खासतौर पर रीढ़ की हड्डी और छाती में दर्द होता है। साथ ही थकावट, कमजोरी होना भी शामिल है। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम वीक होने की वजह से बार-बार इंफेक्शन होना भी शामिल है। खून की कमी और प्लेटलेट काउंट कम होना भी इसके लक्षण हैं।

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क्या है इलाज?

इसमें कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, इम्यूनोथेरेपी और कुछ अन्य थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी मदद से इस बीमारी के जोखिम को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे होने वाले दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल और ट्रामाडोल नाम की दवाओं का सेवन करना होता है। साथ ही, इस बीमारी में हड्डियों को मजबूती देने वाली दवा खाने की भी सलाह दी जाती है। ताकि हड्डियों के फ्रैक्चर होने का जोखिम कम किया जा सके। कुछ मामलों में हड्डियों की सर्जरी भी की जाती है।

कितनी खतरनाक है यह बीमारी?

कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी का सर्वाइवल रेट 40 से 50% लोगों का सिर्फ 5 साल तक ही है। वहीं,85% लोगों की 1 साल के अंदर-अंदर मृत्यु भी हो जाती है। अगर सही समय पर डायग्नोसिस हो जाए तो 30% लोग ही ऐसे होते हैं, जो 10 साल जी पाते हैं।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

First published on: Nov 06, 2024 07:38 AM

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