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मांसाहारी क्यों मानी जाती है ये दाल? जिसे आप समझते हैं शाकाहारी, उसे साधु-संत भी खाने से करते हैं परहेज

Masoor Dal: भारत में दाल खानपान का एक अहम हिस्सा है. चाहे कोई नॉनवेजिटेरियन हो या शाकाहारी, हर किसी ने कभी ना कभी दाल का स्वाद जरूर चखा होगा. दुनियाभर में दालों की कई किस्म पानी जाती है, भारत की बात करें तो यहां पांच प्रमुख दालें हैं (अरहर, चना, मूंग, मसूर और उड़द) जिन्हें […]

Author Written By: Akarsh Shukla Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 1, 2025 22:56

Masoor Dal: भारत में दाल खानपान का एक अहम हिस्सा है. चाहे कोई नॉनवेजिटेरियन हो या शाकाहारी, हर किसी ने कभी ना कभी दाल का स्वाद जरूर चखा होगा. दुनियाभर में दालों की कई किस्म पानी जाती है, भारत की बात करें तो यहां पांच प्रमुख दालें हैं (अरहर, चना, मूंग, मसूर और उड़द) जिन्हें बड़े ही चाव से खाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसी भी दाल है, जिसे सनातन धर्म में मांसाहारी माना गया है, यहां तक कि उसे साधु-संत भी खाने से परहेज करते हैं? अक्सर लोग कई चीजों को शाकाहारी समझकर खाते हैं, जिन्हें किसी न किसी वजह से मांसाहारी माना गया है. इसी में से एक ‘मसूर की दाल’ जिसे हिंदू धर्म में मांसाहारी माना गया है. ये सुनने में जरूर अटपटा लगता है, लेकिन इसके पीछे की वजह आपको भी हैरान कर देगी.

हिंदू धर्म में क्यों मांसाहारी मानी गई है मसूर की दाल?


जी हां, मसूर की दाल कई शाकाहारी लोगों की फेवरेट हो सकती है, लेकिन इसे मांसाहारी बताकर हमारा उद्देश्य उनका स्वाद खराब करना नहीं है. हम बस आपको इसके पीछे की वजह से अवगत कराना चाहते हैं. हिंदू धर्म में मसूर की दाल को मांसाहारी भोजने की कैटेगरी में रखा गया है, इसके पीछे कई धार्मिक कारण बताए गए हैं. इसकी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है, जब भगवान विष्णु ने चुपके से अमृत पीने वाले स्वरभानु नाम के एक राक्षस का वध करने का प्रयास किया. जब विष्णु जी ने दैत्य का सिर धड़ से अलग किया तो वह मरा नहीं, बल्कि दो अलग-अलग हिस्सों ‘राहु’ और ‘केतु’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. उसके वध के दौरान जमीन पर जहां भी स्वरभानु राक्षस का रक्त (खून) गिरा, वहां मसूर की दाल उत्पन्न हो गई.

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मांसाहारी मानने के पीछे और भी हैं वजहें


इसके अलावा कुछ और धार्मिक मान्यताओं में भी मसूर की दाल की उत्पत्ति कामधेनु गाय के रक्त से माना जाता है. यही वजह से हिंदू धर्म को मामने वालों में मसूर की दाल को मांसाहारी माना गया है. हालांकि विज्ञान में मसूर की दाल के मांसाहारी होने का कोई भी तर्क नहीं दिया जाता. इसके नॉनवेजिटेरियन माने जाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि मसूर में प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में होता है, जैसा कि नॉनवेज में पाया जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद में भी मसूर की दाल को तामसिग गुणों वाला माना गया है, इसके सेवन से कामेच्छा, गुस्सा और सुस्ती जैसी भावनाओं को बढ़ावा मिलता है. इस लिए धार्मिक मार्ग पर चलने वाले साधु-संत इसे खाने से परहेज करते हैं.

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First published on: Nov 01, 2025 10:56 PM

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