World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस लिवर की एक गंभीर बीमारी होती है। इसमें लिवर में इंफेक्शन और सूजन की समस्या हो जाती है। बरसात के मौसम में यह बीमारी बहुत कॉमन हो जाती है क्योंकि इस सीजन में दूषित पानी और भोजन के संपर्क में लोग ज्यादा आते हैं। हेपेटाइटिस एक नहीं, कई प्रकार के होते हैं। इस पर हमने झारखंड के पब्लिक हेल्थ सर्विस में जुटे डॉक्टर अनुज कुमार से बात की है। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस 5 प्रकार के होते हैं। वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के मौके पर जानिए बी और सी क्यों सबसे जटिल है आइए जानते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टर अनुज का कहना है कि हेपेटाइटिस की बीमारी साफ-सफाई से संबंधित होती है। इसे नियंत्रित करने या रोकथाम के लिए हमें हाइजीन को सही रखना होता है क्योंकि एकबार इस बीमारी से कोई ग्रसित हो जाता है तो इससे निदान नहीं पाया जा सकता है।
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हेपेटाइटिस के 5 प्रकार
हेपेटाइटिस A- हेपेटाइटिस-ए वायरस से होने वाली बीमारी है, जो आमतौर पर दूषित पानी, भोजन या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होती है। इसमें मरीज को संक्रमण होता है लेकिन कुछ समय बाद अपने आप ठीक भी हो सकता है। यह लंबे समय तक नहीं रहता है। इसके फैलने का कारण दूषित भोजन और पानी है। इससे बचाव के लिए टीकाकरण और साफ-सफाई पर ध्यान देना है।
हेपेटाइटिस B- इस प्रकार में HBV वायरस से संक्रमण होता है जो सीधे खून को संक्रमित करता है। यह संक्रमित सुई, असुरक्षित संबंध बनाने से या फिर मां से गर्भ में बच्चे को हो सकता है। इसे क्रोनिक माना जाता है जिस वजह से आगे चलकर यह लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर भी हो सकता है। इसमें वैक्सीन लगवाई जा सकती है लेकिन यह भी गंभीर हेपेटाइटिस की श्रेणी में आता है।
हेपेटाइटिस C- हेपेटाइटिस का सी प्रकार HCV वायरस से होने वाला संक्रमण होता है। इसे सबसे खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें मरीज को जल्दी कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। ये अंदर से लिवर को धीरे-धीरे अंग को डैमेज करने लगता है और धीरे-धीरे खून को संक्रमित करता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन से इसके फैलने की संभावना रहती है और इससे बचाव के लिए कोई वैक्सीन भी नहीं है।
हेपेटाइटिस D- इस प्रकार में वायरस अकेले काम नहीं करता बल्कि हेपेटाइटिस-बी के साथ मिलकर शरीर को संक्रमित करता है। इस हेपेटाइटिस का रिस्क उन्हें ज्यादा होता है जिन लोगों को पहले हेपेटाइटिस बी हुआ है। यह लिवर को तेजी से डैमेज करता है मगर समय पर वैक्सीन लेने से बचाव मुमकिन है।
हेपेटाइटिस E- हेपेटाइटिस ई HEV वायरस के फैलने से होता है। हालांकि, यह इतना खतरनाक नहीं होता है। यह दूषित पानी पीने से होता है। गर्भवती महिलाओं को ज्यादातर यह वाला हेपेटाइटिस होता है।
इन सभी प्रकार के हेपेटाइटिस में सबसे खतरनाक हेपेटाइटिस बी और सी को माना जाता है क्योंकि इन दोनों के संक्रमण से बचाव मुश्किल होता है। ये लिवर को सबसे ज्यादा तेजी से संक्रमित करते हैं जिसकी वजह से बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। हेपेटाइटिस-सी का कोई वैक्सीन नहीं है।
हेपेटाइटिस के संकेत
- डायरिया।
- थकान और कमजोरी।
- बुखार।
- उल्टी और भूख न लगना।
- पेट दर्द।
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