Cancer Cause: कैंसर के मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं। ये ऐसी बीमारी होती है, जो भयानक और जानलेवा होती है। वैसे तो कैंसर का इलाज मुमकिन है और इसकी रोकथाम के लिए भी कई थेरेपी का विकास हुआ है मगर इसके बावजूद भी इसका जोखिम पहले से ज्यादा बढ़ता जा रहा है। भारत में भी कैंसर एक सक्रिय रोग है, जो अब युवाओं को प्रभावित कर रहा है। हालांकि, देश में कुछ प्रकार के कैंसर जैसे फेफड़ों और ब्रेस्ट कैंसर के मामले अधिक पाए जाते हैं मगर पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि हेड एंड नेक कैंसर के मामले यंग लोगों में ज्यादा देखे जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस कैंसर के बारे में सब कुछ।
क्या हैं हेड एंड नेक कैंसर?
सिर और गर्दन के कैंसर में भी कई प्रकार के कैंसर शामिल होते हैं, जो आपके मुंह, गले या सिर और गर्दन के अन्य हिस्सों को डैमेज करता है। इसका सबसे आम लक्षण लगातार गले में खराश होना है। आमतौर पर ये शरीर के ऊपरी हिस्सों को प्रभावित करने वाला या संक्रमित करने वाला कैंसर होता है। इस कैंसर के होने के कुछ कारण तंबाकू, गुटखा और सिगरेट पीना है।
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सिर और गले के कैंसर के कारण
मुंबई के कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और नेक एंड हेड कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. अमित चक्रवर्ती बताते हैं कि भारत का यंग एज ग्रुप आजकल शराब और एल्कोहल पदार्थों का सेवन बहुत ज्यादा करने लगे हैं। सिर्फ गुटखा या तंबाकू चबाना इसका कारण नहीं है बल्कि हुक्का पीना खासतौर पर जो युवाओं द्वारा पिया जा रहा फ्लेवर हुक्का हेड एंड नेक कैंसर का प्रमुख कारण है।
कुछ अन्य कारण HPV वायरस का संक्रमण होना, खराब ओरल हेल्थ और लंबे समय तक तेज धूप में रहना और प्रदूषण में रहना। जला हुआ खाना खाने से भी इस कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है।

ऐसे होते हैं लक्षण
- एक्सपर्ट बताते हैं कि खाना निगलने में दिक्कत होना इसका सबसे प्रमुख लक्षण होता है।
- मुंह और जीभ पर चोट लगना और लंबे समय तक न भरना भी इसका संकेत होता है।
- गले और कान में दर्द के साथ इंफेक्शन होना।
- हमेशा सिर में दर्द होना और चेहरे या गर्दन में दर्द होना।
- ऊपरी दांतों में दर्द होना।
- नाक से खून आना और कफ में खून दिखना।
- मसूड़ों में सफेद या लाल धब्बे होना।
- बोलने में परेशानी होना।
कैसे होगा बचाव?
एक्सपर्ट बताते हैं कि आप तंबाकू से परहेज करके, शराब का सीमित सेवन करके और एचपीवी टीका लगवाकर इस कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर समय पर बीमारी का पता चल जाए तो ऐसे कैंसरों का इलाज संभव भी होता है।
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