Packed Wheat Flour : शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां गेहूं के आटे का इस्तेमाल न होता हो। काफी लोग गेहूं को बाहर से पिसवाकर आटा तैयार करवाते हैं तो कुछ मार्केट से पैकेट वाला आटा लाते हैं। गेहूं के आटे में कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा होती है। इस कारण इसके लगातार सेवन से न केवल वजन बढ़ता है बल्कि डायबिटीज जैसी बीमारी भी घेर सकती है। इसमें मौजूद ग्लूटेन से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही एलर्जी हो सकती है और शरीर में सूजन आ सकती है।
सेहत पर ऐसे डालता है असर
गेहूं के आटे में ग्लूटेन होने के कारण कुछ लोगों को ग्लूटेन एलर्जी हो जाती है। इसके कारण लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं। कई बार इससे पेट में दर्द की भी शिकायत होती है। बच्चों में यह शिकायत ज्यादा होती है। यह समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है जो पैकेट वाला आटा इस्तेमाल करते हैं। ग्लूटेन की वजह से एसिडिटी, डायबिटीज, मोटापा, स्किन आदि की परेशानी भी हो सकती है।
खत्म हो जाते हैं फाइबर
गेहूं के ऊपर की परत में फाइबर मिनरल्स होते हैं। पैकेट बंद आटा तैयार करते समय गेहूं से इस परत को हटा दिया जाता है। इससे गेहूं में मौजूद पौषक तत्व खत्म हो जाते हैं। वहीं चक्की पर जब गेहूं पीसे जाते हैं तो उनसे ऊपर की परत नहीं हटती। इसलिए यह आटा सेहत के लिए काफी हद तक ठीक रहता है। चक्की के पिसे आटे को बिना छाने इस्तेमाल करना चाहिए। इससे इसमें मौजूद चोकर निकलता नहीं है। चोकर में फाइबर शरीर को फायदा पहुंचाता है।
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मल्टिग्रेन आटे का करें इस्तेमाल
बेहतर होगा कि सिर्फ गेहूं के आटे से बचें। गेहूं में प्रोटीन कम होता है। बेहतर होगा कि गेहूं में कुछ दूसरे अनाज मिलाकर नजदीकी चक्की पर ले जाएं और वहां इन्हें पिसवाएं। इससे तैयार मल्टिग्रेन आटा सेहत के लिए काफी अच्छा रहता है। 5 किलो गेहूं में ये चीजें मिलाकर मल्टिग्रेन आटा तैयार कर सकते हैं:
5 किलो गेहूं
250 ग्राम सोयाबीन के दाने
250 ग्राम मक्का
250 ग्राम ज्वार
250 ग्राम बाजरा
250 ग्राम चना दाल
200 ग्राम ओट्स
200 ग्राम जौ
250 ग्राम फ्लैक्स सीड्स
इस तरह से तैयार आटा पौषक तत्वों से भरपूर होता है।