Ethiopian Volcanic Ash: इथियोपिया के हैली गुबी ज्वालामुखी (Hayli Gubbi Volcano) में विस्फोट होने से ज्वालामुखी की राख आस-पास के देशों तक फैल गई है. इस ज्वालामुखी में 12,000 साल बाद विस्फोट हुआ है जिसके बाद इसके धुएं और राख की चपेट में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पंजाब समेत उत्तर भारत का आस-पास का इलाका आ रहा है. ज्वालामुखी की राख इन हिस्सों से होकर गुजरने वाली है. धुएं के घने बादलों के चलते कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द भी कर दिया गया है. दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां पहले ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) का कहर था और अब ज्वालामुखी की राख से लोगों की सेहत पर क्या असर पड़ सकता है और लोगों को कौन सी जरूरी सावधानियां बरतने की जरूरत हे, जानिए यहां.
ज्वालामुखी की राख का सेहत पर प्रभाव
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का कहना है कि इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख का बादल 10 किलोमीटर से भी ज्यागा ऊपर से गुजरेगा जिसका मतलब है कि इसका दिल्ली में हो रहे वायु प्रदूषण पर कुछ खासा असर नहीं पड़ेगा. वहीं, शहरों पर इस ज्वालामुखी की राख का असर कुछ ही घंटों तक हो सकता है.
इस ज्वालामुखी की राख से एयरलाइंस को खासा सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. एयरलाइंस को हिदायत दी गई है कि वे ज्यादा ऊंची उड़ान ना भरें, वहीं कई फ्लाइट्स को कैंसल कर दिया गया है.
आम लोग जो पहले से खराब AQI वाले हिस्सों में रह रहे हैं वे पहले की ही तरह प्रदूषण से बचाव पर जोर दें. बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क लगाना और कम से कम बाहर निकलने की कोशिश करना जरूरी है.
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ज्वालामुखी के धुएं या राख के संपर्क में आने से क्या होता है
इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख भारत के लोगों को प्रभावित नहीं करेगी क्योंकि राख के धुएं वाले बादल कई ज्यादा ऊंचाई पर होंगे, लेकिन जो लोग इथियोपिया के आस-पास रहते हैं वे इस धुएं के संपर्क में आ सकते हैं. ज्वालामुखी की राख में कार्बनडाइऑक्साइड, सल्फरडाइऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, सल्फरिक एसिड और हाइड्रोडन फ्लोराइड जैसी गैसेस होती हैं.
इस राख के संपर्क में आने पर या ज्वालामुखी के धुएं में सांस लेने पर आंखों में इरिटेशन हो सकती है, उल्टी हो सकती है, चक्कर आता है, सिर घूमने लगता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और देखने में दिक्कत हो सकती है. लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स में ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों का इंफेक्शन और श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याएं नजर आ सकती हैं. जिन लोगों को अस्थमा है, दिल की दिक्कतें हैं या क्रोनिक रेस्पिरेटरी दिक्कतें हैं उन्हें खासतौर से सेहत का ध्यान रखने की जरूरत होती है.
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