Cancer Causes: कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेट में दर्द, पेट फूलना और सूजन होती है। यह पीरियड्स में होने वाली सामान्य परेशानियां होती हैं। महिलाएं अक्सर इसे अनदेखा भी कर देती हैं क्योंकि यह हर महिला को पीरियड्स के दौरान ऐसी चीजें महसूस होती हैं। मगर क्या होगा अगर हम आपको बताएंगे कि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो कैंसर भी हो सकता है। जी हां, किसी महिला के साथ ऐसी स्थिति अक्सर सामने आती रहती है, तो उसे ओवेरियन कैंसर की शिकायत हो सकती है। ये इस कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है, ताकि इलाज जल्दी शुरू हों और बचाव हो सके।
क्या है ओवेरियन कैंसर?
ओवेरियन कैंसर महिलाओं के अंडाशय में होने वाला कैंसर है। अंडाशय यानी ओवेरी, जो महिला प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग होता है, उनके शरीर में अंडाणुओं का उत्पादन करती है और हार्मोन रिलीज करने में सहायता देती है। जब ओवेरी में सेल्स की ग्रोथ असामान्य और अनियंत्रित तरीके से होने लगती हैं, तो वे कैंसर का रूप ले सकती हैं।
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पीरियड ब्लोटिंग से कैसे अलग यह कैंसर
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के स्त्री रोग ऑनकोलॉजी, रोबोटिक सर्जन के प्रमुख सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट, डॉक्टर योगेश कुलकर्णी बताते हैं कि पीरियड्स के दौरान होने वाली सूजन और ऐंठन को हर कोई पीरियड ब्लोटिंग से जोड़ता है। यह उस समय हार्मोनल इंबैलेंस के कारण होता है और कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। अगर आपको यह सूजन लगातार बनी रहती है, तो इसे इग्नोर न करें। कई बार इसे महिलाएं पेट भरा होना जैसा मानकर अनदेखा कर देती हैं, जबकि वह खाना बहुत कम खाती हैं।
कुछ अन्य संकेत
- पेट में दर्द
- जल्दी पेट भरना या खाना सही से न खा पाना।
- बार-बार पेशाब आना।
- कब्ज और फ्रेश होने में परेशानी।
- वजन कम होना।
- पीठ दर्द।
डॉक्टर के मुताबिक, ये संकेत अधिकतर महिलाओं को 40 वर्ष की आयु के बाद दिखाई देते हैं।
किन्हें ज्यादा रिस्क?
ओवेरियन कैंसर का रिस्क वैसे तो हर महिला को है, जो पीरियड्स से गुजर रही होती है। मगर इसका कारण पीरियड नहीं है। कैंसर होने के पीछे अन्य कारण भी शामिल होते हैं, जैसे कि फैमिली हिस्ट्री, बहुत कम उम्र में पीरियड्स का शुरू हो जाना या फिर वे महिलाएं जो कभी गर्भवती नहीं हुई हैं, उन्हें यह कैंसर होता है।
निदान क्यों जरूरी?
किसी भी बीमारी के बारे में जितनी जल्दी पता लग जाए, उतना लाभकारी साबित होता है। क्योंकि कैंसर गंभीर बीमारी है, अगर समय रहते बीमारी के बारे में जागरूकता नहीं बढ़ाई जाएगी तो जांच भी देरी से शुरू होगी। यदि इलाज देर से शुरू होता है, तो बीमारी से बचाव की संभावना कम हो जाती है। जांच के लिए कुछ टेस्ट करवा सकते हैं, जैसे कि अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और स्क्रीनिंग।
बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?
ओवेरियन कैंसर के बारे में कहा जाता है कि इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती है लेकिन कुछ आदतें इसके रिस्क को कम कर सकती हैं जैसे कि समय-समय पर गायनोकॉलोजिस्ट से इलाज। वेट मैनेजमेंट, हेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधियां करना।
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