Breast Cancer: भारत में हर सात में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में है। ब्रेस्ट कैंसर की इस बीमारी के सभी प्रकारों में सबसे आम है और देश में इससे पीड़ित महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में जल्द इससे पीड़ित महिलाएं एक नए स्वीकृत जीन परीक्षण की बदौलत जल्द ही अनावश्यक कीमोथेरेपी से बच सकती हैं।
वर्तमान में ब्रेस्ट कैंसर के मरीज ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जाएगी और फिर उनके दोबारा लौटने की संभावना को कम करने के लिए कीमोथेरेपी दी जाएगी। हालांकि, ज्यादातर के लिए ऐसा होने का जोखिम कम है, जिसका अर्थ है कि कई महिलाओं को अनावश्यक कीमोथेरेपी मिलती है, जो अक्सर थकान और मतली जैसे भीषण साइड इफेक्ट के साथ आती है।
नया परीक्षण में ओंकोटाइप डीएक्स के नाम से जाना जाता है, ट्यूमर टिश्यू का विश्लेषण कर सकता है और आक्रामक कैंसर से जुड़े जीन की तलाश करके यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि इसके वापस लौटने की कितना चांस है।
टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को लाभ हो सकता है जो लिम्फ नोड्स तक फैल गया है, जिनमें से ज्यादातर को इस डर से कीमोथेरेपी की पेशकश की जाती है कि यह अन्य अंगों में फैल गया है।
स्टडी से पता चलता है कि यह उपकरण, जिसकी कीमत लगभग £2,000 प्रति टेस्ट है, इस मरीज समूह के 85% की पहचान कर सकता है जिनके कैंसर के दोबारा लौटने की संभावना नहीं है, उन्हें कीमोथेरेपी से बचाया जा सकता है।
अब एनएचएस खर्च निगरानी संस्था ने घोषणा की है कि एर्ली स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित मेनोपॉज के बाद की ज्यादातर महिलाएं, जो लिम्फ नोड्स में भी फैल गई हैं, परीक्षण कराने में सक्षम होती हैं।
इस फैसले से हर साल 3,000 से अधिक महिलाओं को लाभ होने की उम्मीद है। ब्रिटेन में हर साल लगभग 55,000 महिलाओं और 400 पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर का निदान किया जाता है, लेकिन पिछले दशक में उपचार में प्रगति का मतलब है कि निदान होने के पांच साल बाद भी दस में से लगभग नौ जीवित हैं।
लगभग पांच में से चार मरीज या तो कैंसर या पूरे ब्रेस्ट को हटाने के लिए सर्जरी से गुजरेंगे। ऑन्कोटाइप डीएक्स टेस्ट में कैंसर को हटाने के लिए सर्जरी के दौरान ब्रेस्ट ट्यूमर का एक नमूना लेना शामिल है। इसके बाद इसे अमेरिका की प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां 21 अलग-अलग जीनों का विश्लेषण किया जाता है, जो यह भविष्यवाणी करने के लिए दिखाए जाते हैं कि कैंसर कब वापस आएगा।
अगर इनमें से 16 से कम जीन मौजूद हैं, तो मरीज को बताया जाएगा कि उन्हें कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं है। अगर 16 या ज्यादा पाए जाते हैं, तो कीमोथेरेपी की जरूरत होती है।
स्वानसी विश्वविद्यालय के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट प्रोफेसर साइमन होल्ट कहते हैं कि फिलहाल यह जानना मुश्किल है कि कीमो से किसे फायदा होगा, इसलिए हम एहतियात के तौर पर इसे ज्यादातर मरीजों को देते हैं। ऑनकोटाइप डीएक्स परीक्षण हमें उन रोगियों का सटीक रूप से चुनाव करने की अनुमति देता है जिन्हें उपचार की सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे बाकी मरीजों को भी भरोसा मिलता है कि कैंसर दोबारा नहीं आएगा।
ये भी पढ़ें- इन 7 गलतियों की वजह से बढ़ता है Blood Pressure
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।