Birth Control Pills Side Effects: गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना सामान्य हो गया है। इस दवा को अनवांटेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए सबसे आसान तरीका माना जाता है। क्या आप जानते हैं बर्थ कंट्रोल पिल्स का ज्यादा सेवन महिलाओं की मेंटल हेल्थ को बिगाड़ सकता है। जी हां, इस पर हुई कई रिसर्च बताती हैं कि इन दवाओं को खाने से ब्रेन के अंदर अलग-अलग प्रकार के हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जिससे महिलाएं स्ट्रेस और टेंशन में रहती हैं। हालांकि, इन गोलियों का इतिहास काफी पुराना है, लगभग 65 सालों से इन दवाओं को महिलाओं द्वारा लिया जा रहा है लेकिन जो महिलाएं कम समय के अंतराल में बार-बार इन्हें खाती हैं, उनमें मेंटल हेल्थ ठीक न होने के संकेत पाए जाते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं।
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क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट?
ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल साल 2020-2021 के बीच 39% था, जो घटकर साल 2021-2022 के बीच 27% हो गया है, जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि लोगों के बीच इन दवाओं को लेकर नकारात्मक प्रभाव पड़ा हुआ है। स्विट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ बेसल के एक्सपर्ट जोहान्स बिट्जे जो पिछले 40 सालों से स्त्री रोगों पर रिसर्च कर रहे हैं बताते हैं कि इन दवाओं को लगातार खाने से चिड़चिड़ाहट और एंग्जाइटी की समस्याएं हो सकती हैं।
क्यों जानलेवा है गर्भनिरोधक गोली?
गर्भनिरोधक गोलियों के संभावित नुकसानों पर आज भी जांच हो रही हैं। साल 2016 में हुई एक रिसर्च बताती हैं कि जिन महिलाओं ने एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन वाली गोलियां खाई हैं, उन्हें अगले 6 महीने में मेंटल हेल्थ पर कुछ नेगेटिव प्रभाव पड़ सकते हैं। जो महिलाएं सिर्फ प्रोजेस्टोजन-ओनली या ‘मिनी-पिल’ लेती हैं, उन्हें इन दवाओं का साइड-इफेक्ट्स 80% ज्यादा है। साल 2023 में हुई एक और रिसर्च बताती हैं कि यूके बायोबैंक ने बड़ा डेटा कलेक्ट किया था, जिसमें गर्भनिरोधक गोलियों को खाने से मानसिक सेहत खराब होती है।

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युवाओं को ज्यादा रिस्क
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, युवा लड़कियां इन समस्याओं के घेरे में ज्यादा होती हैं, जो 15 से 19 साल की होती है। ये कम्बाइन्ड पिल्स ज्यादा खाती हैं, इनमें मेंटल हेल्थ, शारीरिक विकास में प्रतिबंध और गर्भधारण में भी दिक्कत होती है।
गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान
इनके सेवन से मूड स्विंग्स में उतार-चढ़ाव होता है।
गर्भनिरोधक गोलियों को खाने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़िया होता है।
गर्भनिरोधक दवाओं से सेराटिनिन नामक हार्मोन का स्तर गिरता है, जो कॉग्निटिव कार्यों को करने में मदद करते हैं।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।