Biopsy Test Cancer: कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही किसी की भी हालत खराब हो जाती है। विज्ञान के इतना विकास कर लेने के बाद भी अभी तक इस बीमारी का ठीक इलाज नहीं खोजा जा सका है। इसे लेकर कई तरह की अफवाहें भी चलती हैं। इस वजह से कई लोग इसकी जांच कराने से भी डरते हैं। इसमें सबसे पहला तो इसकी जांच को लेकर है। यानी मरीज के अंदर जो ट्यूमर है वह कैंसरस है भी या नहीं इसका पता लगाना। इसके लिए डॉक्टर बायोप्सी टेस्ट करने की सलाह देते हैं। इसमें कैंसर होने या नहीं होने का पता तो चलता ही है साथ ही उसके नेचर का भी पता चल जाता है कि वह कैंसर किस टाईप का है, जिससे डॉक्टरों को इलाज करने में आसानी होती है।
आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि कई मरीज कैंसर की बायोप्सी नहीं कराते हैं। इसके पीछे मिथ यह है कि बायोप्सी से कैंसर और फैल जाएगा। चूंकि बायोप्सी जांच के लिए ट्यूमर या गांठ के मांस का एक छोटा टुकड़ा लेकर लैब में भेजा जाता है। कुछ लोगों में यह धारणा है कि ट्यूमर में छेद करने से वह तेजी से फैलता है। समय पर बायोप्सी नहीं कराने की मरीजों की लापरवाही के चलते कैंसर बढ़ जाता है।
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क्यों है सबसे अच्छा टेस्ट
कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट को बहुत ही कारगर माना जाता है। कैंसर के लिए बायोप्सी को ही सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें कैंसर होने के शक वाली जगह से कुछ टिश्यूज को निकालकर लैब में भेजा जाता है। बायोप्सी कैंसर के इलाज का पहला कदम होता है। अगर बायोप्सी नहीं होगी तो कैंसर का निदान भी नहीं हो पाएगा, न उसका टाईप पता चल पाएगा न ही उसका इलाज हो पाएगा। इससे कैंसर के स्टेज का पता चलता है।
इससे नहीं फैलता कैंसर
डॉक्टरों के मुताबिक बायोप्सी से कैंसर नहीं बढ़ता है। यह कैंसर के इलाज के लिए बहुत जरूरी है। बिना बायोप्सी के पूरी तरह कंफर्म नहीं हो पाता है कि ट्यूमर या गांठ कैंसरस है या नहीं है। बिना बायोप्सी के कैंसर का इलाज संभव नहीं है। कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि बायोप्सी करने से कैंसर नहीं फैलता है। डॉक्टर बायोप्सी जांच के लिए मरीज को तभी भेजते हैं जब उन्हें कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा नहीं है कि बायोप्सी कराने का मतलब आपको कैंसर हो ही गया है। बहुत बार ऐसा होता है कि बायोप्सी टेस्ट रिपोर्ट में पता चलता है कि ट्यूमर या गांठ कैंसर की नहीं है। इसलिए अगर डॉक्टर बायोप्सी जांच के लिए भेज दे तो भी आपको डरना नहीं चाहिए।
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