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कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते केसों की वजह आई सामने, AIIMS की रिसर्च में नतीजे चौंकाने वाले

AIIMS Delhi Study Report: दिल्ली AIIMS ने एक रिसर्च की, जिसके नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं और कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते केसों का बड़ा कारण भी बता रही है।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Nov 21, 2023 11:02
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Study On Heart Attack Reason
Study On Heart Attack Reason

AIIMS Delhi Study Revealed Heart Attack Cases Reason: कोरोना काल के बाद हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ गए हैं। वहीं छोटी उम्र के युवाओं को दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा होने लगा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखुपर में 30 साल के डॉक्टर अभिषेक अचानक गिर गए और उन्होंने दम तोड़ दिया। अभिषेक BRD मेडिकल कॉलेज से वर्ष 2016 में MBBS के बैच से पास आउट थे। मौजूदा समय में वह देवरिया रेलवे हॉस्पिटल में अपनी सेवा दे रहे थे, लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी जान चली गई। आखिर इतनी कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने के क्या कारण है, इसे लेकर दिल्ली AIIMS ने एक रिसर्च की, जिसके नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं और कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते केसों का बड़ा कारण भी बता रही है।

 

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57  कोरोना मरीजों समेत 110 मरीजों पर की गई रिसर्च

दिल्ली AIIMS की रिसर्च के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद हार्ट अर्टक के बढ़ते मामलों का कारण धमनियों का सेंसर है, जो दिल और दिमाग को सही तरीके से सिग्नल नहीं पहुंचा पा रहा है। जब दिमाग को सिग्नल नहीं मिलते तो शरीर सही तरीके से काम नहीं कर पाता। दिल की वर्किंग पर भी असर पड़ता है। दिल पर दबाव पड़ने से धड़कनों में तेजी से बदलाव आता है। कई लोगों को चक्कर आने की शिकायत हुई, जिससे हार्ट फेल होने के चांस बढ़े। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च करीब 110 मरीजों पर की गई, जिसमें 57 मरीज ऐसे थे, जो कोरोना से ग्रस्त रह चुके थे। इन्हें कोई दूसरी बीमारी भी नहीं थी। 3 से 6 महीने क्वारंटीन रहने से वे ठीक भी हो गए थे। वहीं 110 में से 53 मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री कोविड-19 से पहले की थी। रिसर्च के दौरान दोनों तरह के मरीजों का मिलान किया गया।

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बैरोफ्लेक्स शरीर के रक्तचाप को स्थिर बनाए रखता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च के दौरान सामने आया कि कोरोना से 3 से 6 महीने में ठीक हुए मरीजों की धमनियों का बैरोफ्लेक्स (सेंसर) काफी संवेदनशील मिला। साथ ही यह भी देखा गया कि इस सेंसर और संवेदनशीलता का गले की धमनी से क्या संबंध है? दिल्ली AIIMS के डॉक्टर डीनू एस चंद्रन ने कहा कि कोरोना ने बैरोफ्लेक्स पर असर डाला, जो दिमाग को सिग्नल देता है, लेकिन सिग्नल नहीं मिलने से दिल अच्छे से काम नहीं कर पाता। इससे बैचैनी रहती है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है। चक्कर आने लगते हैं, जबकि बैरोफ्लेक्स शरीर के रक्तचाप को स्थिर बनाए रखता है, लेकिन कोरोना ने इस पर असर डाला, जबकि बैरोफ्लेक्स शरीर में होने वाली हर हरकत की सूचना दिमाग तक पहुंचाता है। AIIMS के मेडिसिन, शरीर क्रिया विज्ञान विभाग सहित अन्य विभाग के डॉक्टरों ने स्टडी की।

ICMR भी इसी टॉपिक पर कर रहा रिसर्च

स्टडी में डॉ. प्राची श्रीवास्तव, डॉ. PM नबील, डॉ. किरण वी. राज, डॉ. मनीष सोनेजा, डॉ. डीनू एस. चंद्रन, डॉ. जयराज जोसेफ, डॉ. नवीत विग, डॉ. अशोक कुमार जारयाल, डॉ. डिक थिजसेन और डॉ. किशोर कुमार दीपक शामिल हुए। इन डॉक्टरों ने साफ तौर पर आशंका जाहिर की है कि कोरोना महामारी के बाद अचानक तेजी से बढ़े हार्ट अटैक के केसों के पीछे मुख्य धमनी के सेंसर का खराब होना ही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सेंसर जब दिमाग को सटीक सिग्नल नहीं देगा तो शरीर ठीक से काम नहीं कर पाता। दिमाग से शरीर तक खून का संचार भी ठीक से नहीं हो पाता। अचानक दिल के काम करने की गति जरूरत से ज्यादा बढ़ती है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ता है। वहीं इस मुद्दे पर ICMR भी स्टडी कर रहा है, जिससे स्पष्ट होगा कि दिल के दौरे बढ़ने के पीछे कोरोना का हाथ है या नहीं?

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Nov 21, 2023 10:56 AM

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