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ग्लोबल वार्मिंग तो बीते जमाने की बात अब उबलने लगी है धरती, 125000 साल में सबसे गर्म रहा 2023 का अक्टूबर

Climate Crisis: ईयू के वैज्ञानिकों ने साल 2023 को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों की मानें तो सवा लाख साल में यह साल सबसे अधिक गर्म साबित होने वाला है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Nov 9, 2023 10:26
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2023 will be the warmest 125000 years
2023 will be the warmest 125000 years (Pic Credit- Google)

Climate Crisis: यूरोपीय संघ के वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्ष 2023 सवा लाख साल में सबसे गर्म साल साबित होगा। वैज्ञानिकों ने यह दावा पिछले कुछ महीनों में तापमान में हुई बढ़ोतरी के बाद किया है। रिकाॅर्ड की मानें तो 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। 2016 में अल नीनो आया था। अब साल 2023 उससे भी आगे निकलने जा रहा है। साल 2023 में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव साफ तौर पर देखे जा सकते हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो अक्टूबर में औसत सतही तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया। साल 1850-1900 के बीच अक्टूबर औसत से 1.7 डिग्री सेल्सियस अधिक है। इस काल को यूरोपीय वैज्ञानिकों ने कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा पूर्व औद्योगिक काल की संज्ञा दी है। रिकाॅर्ड की मानें तो वर्तमान में सबसे गर्म वर्ष 2016 रहा है, लेकिन लगता है कि यह साल इस रिकाॅर्ड को तोड़ देगा।

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जुलाई भी रहा था सबसे गर्म

इस साल अक्टूबर के अलावा जुलाई महीना भी सबसे गर्म रहा। जुलाई में ऐसी गर्मी सवा साल पड़ी थी। अध्ययन के अनुसार यह महीना सबसे गर्म साबित हुआ था। यूएन के प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने कहा था कि ग्लोबल वार्मिंग तो अब बीते जमाने की बात हो गई है। अब तो धरती उबल रही है। इस महीने की गर्मी का असर भी दुनियाभर में देखने को मिला था। ग्रीस के रोड्स में आग लगने के बाद हजारों पर्यटक फंस गए थे।

ग्लोबल वार्मिंग बीते जमाने की बात

वैज्ञानिकों ने बताया साल 2016 अलनीनो वर्ष था। साल 2023 इससे भी आगे निकल सकता है। कापरनिकस के पास 1940 से आंकड़े उपलब्ध हैं। अगर इसका संयोजन आज के समय से करें तो हम यह कह सकते हैं कि यह सवा साल में सबसे गर्म साल रहने वाला है। इसके कारण साल 2023 में विनाशकारी प्रभाव सामने आए हैं। बाढ़ के कारण लीबिया में हजारों लोगों की जान चली गई। वहीं दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की भीषण गर्मी और कनाडा की जंगल की आग को इसके परिणाम के तौर पर देखा जा सकता हैं। ग्रीन हाउस गैसों और अन नीनों के कारण जलवायु पैटर्न के कारण यह स्थिति और खराब हो गई है।

 

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Nov 09, 2023 10:20 AM
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