Budget Phones Virtual RAM: आजकल बजट सेगमेंट में प्रीमियम फोन वाले फीचर्स मिलने लगे हैं। हालांकि कुछ कंपनियां फीचर्स के नाम पर लोगों का पागल बना रही हैं। ऐसे भारी भरकम नाम लॉन्च के वक्त बताए जाते हैं जिसे एक आम यूजर के लिए समझना काफी मुश्किल हो जाता है। इसी बीच फोन में ज्यादा RAM के नाम पर भी बड़ा स्कैम चल रहा है। जी हां, आजकल बहुत-सी कंपनियां 10 हजार रुपये के फोन भी 12GB से 16GB तक RAM दे रही हैं लेकिन ये कोई फिजिकल RAM नहीं है बल्कि वर्चुअल रैम होती है। देखा जाए तो ये सिर्फ एक मार्केटिंग नौटंकी है लेकिन कैसे? आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से समझाएंगे…
पहले जानें वर्चुअल RAM क्या है?
दरअसल, वर्चुअल रैम और कुछ नहीं बल्कि एक फीचर है जो इंटरनल स्टोरेज को रैम की तरह यूज करने में मदद करता है। अगर फोन की फिजिकल रैम भर जाती है, तो वर्चुअल रैम बैकग्राउंड ऐप्स को रन करने में मदद कर सकता है। हालांकि कुछ कंपनियां इस टर्म का इस्तेमाल करके लोगों का पागल बना रही हैं।
8GB + 8GB RAM वो भी बजट में?
कंपनियां पहले कहती हैं कि 8 जीबी फिजिकल रैम के साथ 8 जीबी वर्चुअल रैम फोन में मिलेगा, लेकिन वर्चुअल रैम इंटरनल स्टोरेज से बनी होती है जो फिजिकल रैम की स्पीड को कभी मैच नहीं कर सकती। अगर आप थोड़ा भी कंप्यूटर के बारे में जानते हैं तो इस बारे में पता ही होगा कि RAM, स्टोरेज से कितनी ज्यादा फास्ट होती है। ऐसे में वर्चुअल रैम सिर्फ एक बैकअप की तरह है, इससे फोन की स्पीड पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता।
फोन स्टोरेज को भी नुकसान
अब अगर आप इस फीचर को ऑन करते हैं और आपने अगर कोई ऐसा फोन लिया है जिसमें 128GB मेमोरी है तो पहली बात तो कभी भी 128GB स्टोरेज पूरा नहीं मिलता। इसके बाद वर्चुअल रैम फीचर भी फोन की स्टोरेज को खा जाएगा, जो आपके ऐप्स और फाइलों के लिए कम स्पेस छोड़ेगा। यही नहीं अगर फोन का प्रोसेसर कमजोर है, तो वर्चुअल रैम का कोई मतलब नहीं है। इसलिए अगर आप एक नया फोन लेने जा रहे हैं तो वर्चुअल रैम पर मत जाओ, अपने डिवाइस का असली प्रोसेसर, फिजिकल रैम और स्टोरेज स्पीड चेक करो।
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