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Cricket में क्या है Ultra-Edge टेक्नोलॉजी? जो कई बार बन जाती है Game Changer

ICC World Cup Final 2023: क्या आप Ultra-Edge टेक्नोलॉजी के बारे में जानते हैं? Cricket में ये कैसे मदद करती है आइये इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Sameer Saini | Updated: Nov 19, 2023 10:55
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ICC World Cup Final 2023

ICC World Cup Final 2023: क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला आज रविवार 19 नवंबर को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाएगा। मैच दोपहर दो बजे से शुरू होगा। हर मैच की तरह इस मैच में भी तमाम टेक्नोलॉजी का यूज किया जाएगा। हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा कि हम में से बहुत से लोग इन टेक्नोलॉजी को कई बार इग्नोर कर देते हैं, लेकिन आज क्रिकेट वर्ल्ड में इन्हीं की बदौलत थर्ड अंपायर अपना फैसला आसानी से सुना पाते हैं।

इसी में से एक टेक्नोलॉजी Ulrta-Edge है जिसके बारे में आपने कई बार सुना होगा। जिसमें एक ग्राफ पर बॉल के बैट पर टच होने का संकेत मिलता है। जिसके बाद अंपायर अपना फैसला ले पाते हैं। आज हम आपको इसी Ultra-Edge टेक्नोलॉजी के बारे में बताएंगे। क्या है ये टेक्नोलॉजी और क्रिकेट में कैसे काम करती है।

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वीडियो से भी समझिए क्या है Ultra-Edge टेक्नोलॉजी

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अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी क्या है?

अल्ट्रा एज स्निकोमीटर का एक एडवांस वर्जन है जिसका यूज एज डिटेक्शन के लिए किया जाता है। स्निकोमीटर टेक्नोलॉजी का आविष्कार सबसे पहले ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक एलन प्लास्केट ने किया था और इसका उपयोग 1999 में यूके के चैनल 4 द्वारा किया गया था।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology) के इंजीनियरों द्वारा इस सिस्टम की काफी लंबे समय तक टेस्टिंग की गई। जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी के यूज को मंजूरी मिली।

कैसे काम करती है ये टेक्नोलॉजी?

बता दें कि यह टेक्नोलॉजी स्टंप के अंदर लगे माइक, पिच और मैदान के आसपास लगे विभिन्न कैमरों का यूज करती है। जब कोई गेंद बल्ले को छूती है, तो गेंद एक स्पेशल साउंड प्रोड्यूस करती है जिसे विकेट माइक द्वारा कैप्चर किया जाता है। जिसके बाद ट्रैकिंग स्क्रीन पर इसका पाता लगाया जा सकता है।

इस वीडियो से जानें Cricket में यूज होने वाली 10 बेहतरीन टेक्नोलॉजी

बल्ले और पैड का साउंड समझने में सक्षम

खास बात यह है कि ये टेक्नोलॉजी बल्ले और पैड से निकलने वाली साउंड के बीच अंतर को भी समझ सकती है। जैसे ही गेंद बल्ले के पास आती है, मैदान के अपोजिट एंड पर लगे कैमरे विजुअल इलस्ट्रेशन के लिए गेंद को ट्रैक करते हैं। बैट में मौजूद माइक्रोफोन बल्ले से गेंद के टकराने की आवाज को ऑसिलोस्कोप पर पकड़ लेता है। यह Oscilloscope साउंड एनर्जी को तरंगों में दिखाता है। इसके बाद ही अंपायर अपना फैसला सुनाते हैं।

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Edited By

Sameer Saini

First published on: Nov 19, 2023 10:42 AM

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