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कैसे सियासी दलों तक पहुंचता है कंपनियों का पैसा? जानिए इलेक्टोरल ट्रस्ट की ABCD

SC ने इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द कर दिया था, इसके बाद कंपनियों ने इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए पार्टियों को चंदा देना शुरू कर दिया.

Author Edited By : Arif Khan
Updated: Dec 23, 2025 12:39
साल 2024-25 में 3,811 करोड़ रुपये का चंदा सियासी दलों को बांटा गया.

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम रद्द होने के बाद कंपनियों ने साल 2024-25 में सियासी पार्टियों को चंदा देने के लिए एक बार फिर इलेक्टोरल ट्रस्ट को अपना जरिया बना लिया. साल 2023-24 में, केवल पांच ट्रस्टों ने कुल 1,218.36 करोड़ रुपये का चंदा बांटा था. फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया. इसके बाद साल 2024-25 चंदा बांटने वाले इलेक्टोरल ट्रस्टों की संख्या बढ़कर नौ हो गई. इन्होंने इस दौरान करीब 3,811 करोड़ रुपये का चंदा सियासी दलों को दिया. आज हम बताएंगे कि इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या हैं और इन्हें फंड कैसे मिलता है और कैसे ये काम करते हैं?

क्या हैं इलेक्टोरल ट्रस्ट?

इलेक्टोरल ट्रस्ट स्कीम साल 2013 में यूपीए सरकार ने शुरू की थी. फिर 2018 में NDA सरकार, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम ले आई. दोनों के जरिए कंपनियों और व्यक्तियों की ओर से सियासी दलों को चंदा दिया जाता है. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कोई भी कंपनी या व्यक्ति सीधे सियासी पार्टियों को चंदा दे सकते थे. लेकिन इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए ऐसे चंदा नहीं दिया जा सकता. पहले कंपनियों या व्यक्तियों को इन ट्रस्ट को चंदा दिया जाएगा. फिर ये ट्रस्ट अपने पास आए पैसों को सियासी दलों में बांटते हैं.

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यह भी पढ़ें : चुनावी बॉन्ड रद्द होने के बाद भी BJP मालामाल, एक साल में मिला कांग्रेस से 12 गुना ज्यादा चंदा; जानें- किसने कितना दिया

इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत चंदा देने वाले की जानकारी गोपनीय रखी जाती थी. वहीं, इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए यह अनिवार्य है इसके तहत मिलने वाले चंदे की जानकारी देनी होती है. हर साल कंपनियों या व्यक्तियों से मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है. इसमें यह भी बताना होता है कि किस कंपनी से कितने रुपए मिले. फिर इस फंड से किस पार्टी को कितना रुपये चंदा दिया गया.

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भारत में कितने इलेक्टोरल ट्रस्ट?

साल 2013 में रजिस्टर्ड ट्रस्टों की संख्या तीन थी. साल 2021-22 में यह संख्या 17 हो गई थी. लेकिन देखा जाए तो इनमें से कुछ ट्रस्ट ही पार्टियों को चंदा देते हैं. 2023-24 में केवल पांच ट्रस्टों ने चंदा दिया था. वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर नौ हो गई. इनमें से तीन ट्रस्ट – प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट और न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट ने सबसे ज्यादा चंदा दिया. सियासी दलों को मिले कुल चंदे का 98 फीसदी हिस्सा इन्हीं ट्रस्टों से मिला था.

किस ट्रस्ट को कितने रुपये मिले

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे बड़ा ट्रस्ट है. इसे 2017 से पहले सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था. इस ट्रस्ट को कई कंपनियों से 2,668.46 करोड़ रुपये का चंदा मिला. प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को टाटा समूह की कंपनियों से चंदे के रूप में 915 करोड़ रुपये मिले. फिर इस ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को 914.97 करोड़ रुपये का चंदा दिया. न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट को महिंद्रा समूह की कंपनियों से 160 करोड़ रुपये मिले थे. इस ट्रस्ट ने जितनी राशि मिली थी, सारी सियासी दलों को दे दी.

कैसे काम करते हैं ये ट्रस्ट

कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड कोई भी कंपनी इलेक्टोरल ट्रस्ट बना सकती है. फिर इस ट्रस्ट को कोई भी कंपनी या व्यक्ति चंदा दे सकता है. ट्रस्ट को भारतीय नागरिक, भारतीय कंपनियां या फर्म स्वैच्छिक रूप से चंदा देती हैं. यह पैसा चेक, बैंक ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के जरिए किया जा सकता है. ट्रस्ट को चंदा देते समय पैसे देने वाले को अपना पैन नंबर या पासपोर्ट नंबर देना जरूरी है. इसके बाद एक वित्तीय वर्ष में जो चंदा इकट्ठा हुआ है, उसका 95 फीसदी हिस्सा सियासी दलों में बांटा जाता है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यह अनिवार्य है. बाकी 5 फीसदी हिस्सा ट्रस्ट अपने खर्च के लिए रख सकते हैं. चंदे के पैसे का इस्तेमाल ट्रस्ट के सदस्य अपने लिए नहीं कर सकते.

इलेक्टोरल ट्रस्टों को हर तीन वित्तीय वर्षों में रिन्यू के लिए एप्लाई करना होता है. ट्रस्ट को अपने अकाउंट्स ऑडिट करवाने होते हैं, पैसे देने वाले और जिन्हें चंदा दिया गया, उनका ब्योरा, सीबीडीटी और चुनाव आयोग को देना होता है.

किसे मिला कितना चंदा?

भाजपा की 2024-25 की कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पार्टी को 6,088 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह 2023-24 में मिले 3,967 करोड़ रुपये से करीब 53 फीसदी ज्यादा है. वहीं, इस दौरान कांग्रेस को 522.13 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो भाजपा से करीब 12 गुना कम है. 2024-25 में, चुनावी ट्रस्टों ने भाजपा को 3,744 करोड़ रुपये दान किए. यह कुल चंदे का 61 फीसदी है. बाकी 2,344 करोड़ रुपये दूसरे लोगों ने चंदे में दिए.

First published on: Dec 23, 2025 12:39 PM

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