First Dalit PM Candidate Mallikarjun Kharge: दिल्ली में हुई विपक्षी दलों के इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन की बैठक को लेकर चर्चाएं हैं। सबसे बड़ी बहस इस बात को लेकर है कि क्या विपक्षी दलों के गठबंधन के पास कोई प्रधानमंत्री पद का चेहरा है। 19 दिसंबर को INDIA गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्किकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया, जो कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था।
ममता के इस प्रस्ताव का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन किया। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस प्रमुख खरगे 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा होंगे।
हालांकि खरगे ने इस विचार को खारिज किया है। उनका कहना है कि पीएम पद के लिए नाम बाद में भी तय हो सकता है, पहले हमारा मकसद चुनाव जीतना होना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि कई नेता खरगे का इसलिए भी समर्थन कर रहे हैं क्योंकि यह देश में पहली बार दलित प्रधानमंत्री बनाने का मौका होगा। केजरीवाल की भी यही प्रतिक्रिया थी की दलित प्रधानमंत्री भी मुद्दा हो सकता है। केजरीवाल का कहना है कि खरगे के पीएम उम्मीदवार होने से गठबंधन को फायदा होगा क्योंकि वे दलित नेता हैं।
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कबतक बनेगी सहमति
वहीं इंडिया गठबंधन के कई सहयोगियों के बीच ही इसपर सहमति का अभाव दिख रहा है। कई घटक दलों को कांग्रेस पर भरोसा नहीं है। ममता और केजरीवाल के इस विचार से कांग्रेस भी काफी हद तक सहज नहीं होगी, क्योंकि राहुल गांधी का नाम भी है।अब देखना है कि क्या विपक्षी गठबंधन 2024 में दलित कार्ड चलता है और पीएम कैंडिडेट पर कबतक आम सहमति बन पाती है।
गठबंधन में कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसकी देशभर में उपस्थिति है। ऐसे में पीएम पद पर कांग्रेस के ही किसी नेता का नाम तय हो सकता है। कई लोग राहुल गांधी का नाम आगे करना चाहते हैं, लेकिन यह नाम सभी को शायद ही स्वीकार हो। विपक्ष को भी पता है कि राहुल गांधी पूरी तरह से आम आदमी से कनेक्ट नहीं कर पा रहे हैं।
कौन हैं मल्लिकार्जुन खरगे
मल्किकार्जुन खरगे का जन्म 21 जुलाई 1942 को कर्नाटक के गुलबर्गा जिले में हुआ था। वे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए। कर्नाटक से आने वाले 80 साल के मल्लिकार्जुन खरगे 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इस समय वे राज्यसभा के सदस्य भी हैं। गुलबर्गा सीट से उन्होंने 2009 और 2014 में लोकसभा का चुनाव जीता।
हालांकि 2019 में वे गुलबर्गा सीट से वे लोकसभा का चुनाव हार गए। उनकी छवि भी साफ है और वे कांग्रेस के वफादार माने जाते हैं क्योंकि वे पार्टी में बहुत लंबे समय से हैं। वे कर्नाटक सरकार में कई बार मंत्री भी रहे। वे वहां सीएम पद की रेस में भी थे, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। वे देश के रेलमंत्री भी रहे हैं।
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