शशि कपूर का नाम भारतीय सिनेमा के सबसे हैंडसम, चार्मिंग और प्रतिभाशाली अभिनेताओं में गिना जाता है। उनकी सुंदरता और अभिनय प्रतिभा का जादू सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी देखा गया। ऐसे में आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर चलिए आपको बताते हैं उनसे जुड़े हुए कुछ अहम किस्से।
शशि को देखकर मंत्रमुग्ध हुईं शर्मिला
शर्मिला टैगोर ने पहली बार शशि कपूर को ‘कश्मीर की कली’ के सेट पर देखा था, जब वो अपने भाई शम्मी कपूर से मिलने आए थे। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक उस पल को याद करते हुए शर्मिला कहती हैं कि शशि कपूर की हैंडसम पर्सनालिटी ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया था।
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शशि कपूर की सुंदरता सिर्फ भारतीय अभिनेत्रियों को ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को भी प्रभावित करती थी। मशहूर इतालवी अभिनेत्री जीना लोलोब्रिजीडा भी शशि कपूर के आकर्षण से बच नहीं सकीं। वो भी उनके लुक्स की दीवानी हो गई थीं।
अभिनय में भी थे बेमिसाल
हालांकि शशि कपूर की सुंदरता के चर्चे हर तरफ होते थे, लेकिन उनका अभिनय भी उतना ही प्रभावशाली था। श्याम बेनेगल और यश चोपड़ा जैसे निर्देशकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। यश चोपड़ा की फिल्म ‘दीवार’ में उनका डायलॉग ‘मेरे पास माँ है’ आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में गूंजता है।
श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी फिल्मों ‘जुनून’ और ‘कलयुग’ में उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनके अभिनय की गहराई को उनके कॉम्पिटिटर्स अभिनेताओं और निर्देशकों ने खूब सराहा।
शशि कपूर की लवस्टोरी
शशि कपूर और जेनिफर केंडल की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। दोनों की मुलाकात पृथ्वी थिएटर के दौरान हुई थी। जेनिफर के पिता को ये रिश्ता पसंद नहीं था, लेकिन शम्मी कपूर और गीता बाली के सपोर्ट से दोनों ने शादी की। शशि और जेनिफर का रिश्ता बेहद मजबूत था, दोनों एक-दूसरे के लिए समर्पित थे।
शशि कपूर सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक सफल निर्माता भी थे। उन्होंने फिल्म ‘जुनून’, ‘कलयुग’, ’36 चौरंगी लेन’, ‘विजेता’ और ‘उत्सव’ जैसी शानदार फिल्मों का निर्माण किया। इन फिल्मों को क्रिटिक्स द्वारा खूब सराहा गया, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर वो ज्यादा सफल नहीं हो सकीं। बावजूद इसके शशि कपूर ने कभी भी कला सिनेमा से समझौता नहीं किया।
शशि कपूर का आखिरी वक्त
साल 1984 में जेनिफर के निधन के बाद शशि कपूर पूरी तरह से टूट गए। उन्होंने धीरे-धीरे खुद को फिल्मों से दूर कर लिया। उनका वजन बढ़ता गया और सेहत बिगड़ती गई। उनके अंतिम दिनों में वो व्हीलचेयर पर थे और याददाश्त भी कमजोर हो चुकी थी।
लेकिन उनकी आंखों की चमक और मुस्कान ने आखिरी वक्त तक उनका साथ नहीं छोड़ा। सिमी गरेवाल के साथ उनकी आखिरी मुलाकात भावुक थी, जब उन्होंने धीमी आवाज में कहा, ‘हेलो सिमी।’
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