Kapoor Family: कपूर खानदान का नाम अक्सर सुर्खियों में आता रहता है. अब जाहिर है कि कपूर खानदान की चर्चा हो रही है, तो लोगों में दिलचस्पी भी बढ़ेंगी. आज हम आपको कपूर फैमिली के उस शख्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका लंबा करियर होने के बाद भी उन्हें कुछ खास पहचान नहीं मिल सकी. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम यहां किसकी बात कर रहे हैं? तो आइए जानते हैं इनके बारे में…
रविंद्र कपूर
दरअसल, हम जिनकी बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि रविंद्र कपूर हैं. रविंद्र कपूर की बात करें तो रविंद्र कपूर का जन्म 15 दिसंबर 1940 में हुआ था. रविंद्र कपूर ने साल 1953 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने फिल्म ‘ठोकर’ से डेब्यू किया था. इसके बाद वो फिल्म ‘पैसा’ में नजर आए थे.
पंजाबी सिनेमा में की एंट्री
रविंद्र कपूर को बड़ी फिल्मों में भी छोटे रोल मिलते थे. उनका समय ऐसा था कि उन्हें हिंदी फिल्मों में कुछ खास मौके नहीं मिले. इसके बाद उन्होंने पंजाबी सिनेमा में कदम रखा और उन्हें पहली ही पंजाबी फिल्म से बड़ी सफलता भी मिली. साल 1960 में आई फिल्म ‘चंबे दी कली’ में कमाल की एक्टिंग की थी.
रविंद्र कपूर की फिल्में
रविंद्र कपूर की ये फिल्म बड़ी हिट निकली थी और इसके लिए उन्हें कई सम्मान भी मिले थे. हालांकि, इसके बाद उन्होंने फिर हिंदी सिनेमा में वापसी की और रविंद्र कपूर ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया. रविंद्र कपूर की फिल्मों की बात करें तो उन्होंने
‘यादों की बारात’, ‘आया सावन झूम के’ और ‘कारवां’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है.
करियर की सबसे बड़ी चुनौती
भले ही उन्होंने कई बड़ी फिल्मों में काम किया, लेकिन कभी-कभी उनका किरदार इतना छोटा होता था कि उनका नाम तक नहीं होता था. यही वजह थी कि दर्शक उनका चेहरा तो पहचानते थे, लेकिन लोगों को उनका नाम याद नहीं रहता था. इतना ही नहीं बल्कि ये रविंद्र कपूर के करियर की सबसे बड़ी चुनौती भी रही थी.
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