जयपुर: पूर्णिमा यूनिवर्सिटी, जयपुर के ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस की ओर से इंटरनेशनल यूथ डे पर ‘इन्वेस्टिंग इन यूथ लेड क्लाइमेट सॉल्यूशंस’ विषय पर सिम्पोजियम आयोजित किया गया। सीआईआई और यंग इंडियंस के सहयोग से ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड पर आयोजित इस सिम्पोजियम में देश-विदेश के कई प्रभावी युवाओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
ऑफलाइन सैशन की चीफ गेस्ट केबी भाभा हॉस्पिटल मुंबई की कंसल्टेंट पीडिअट्रिशन डॉ. ममता एम. लाला थीं। उन्होंने क्लाइमेट चेंज के संदर्भ में अंटार्कटिका की खूबसूरती के विविध पहलुओं को समझाया। उन्होंने बताया कि क्लाइमेट चेंज हमारी वजह से ही हो रहा है और इसे हम ही रोक सकते हैं। उन्होंने बताया कि कई विशेष नियमों की वजह से अंटार्कटिका का वातावरण बिल्कुल स्वच्छ बना हुआ है।
इंटरनेशनल चिल्ड्रंस पीस प्राइज विनर व पूर्णिमा पाठशाला के फाउंडर ओमप्रकाश गुर्जर की स्पीच ‘उम्मीद है, लेकिन जागने वालों का सपना’ विषय पर थी। इसमें उन्होंने युवा सशक्तिकरण और सभी उम्र के लोगों का सम्मान करने का संदेश दिया और बाल श्रम को समाप्त करने की अपील की। उन्होंने अपनी लाइफ स्टोरी साझा करते हुए बताया कि बचपन में उन्हें भी बाल श्रम का दंश झेलना पड़ा था, लेकिन उससे मुक्त होने के बाद आज वे स्वयं बाल श्रमिकों को इस दलदल से बाहर निकाल रहे हैं। जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के सहयोग से शुरू की गई पूर्णिमा पाठशाला में वंचित वर्ग के बच्चों को नियमित रूप से शिक्षित किया जा रहा है।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू की जूलिया बरीब्यू ने ‘टेकिंग इनिशिएटिव फॉर ए बेटर वर्ल्ड’ विषय के तहत कनाडा व अन्य देशों में स्वच्छ पेयजल की समस्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास व प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। वक्ताओं ने यूनाइटेड नेशंस द्वारा निर्धारित 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) हासिल करने से संबंधित विषयों पर भी बात की।
इसके बाद ऑनलाइन सैशन आयोजित किया गया। इसमें अफ्रीका में अमेरिका के क्लाइमेट एम्बेसडर मोहम्मद बचिरकमारा, इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के डॉ. आयुष भंडारी, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट नोमवुसेलो मोयो, बांग्लादेश की एफएक्सबी क्लाइमेट एक्सपर्ट तहमीना सुप्ति, एफएक्सबी यूएसए आईएनसी की प्रोग्राम स्ट्रेटेजी एंड इनोवेशन डायरेक्टर करीना एल वेनस्टेन, डॉ. ममता एम. लाला ओर जूलिया बरीब्यू शामिल हुईं। सभी ने क्लाइमेट चेंज की समस्या पर चिंता जाहिर करते हुए इसके संभावित समाधान सुझाए। मेजबान पूर्णिमा यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. सुरेश चंद्र पाधे, प्रो—प्रेसीडेंट डॉ. मनोज गुप्ता व रजिस्ट्रार डॉ. चांदनी कृपलानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में सिम्पोजियम की संयोजक डॉ. सुधि राजीव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।