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‘साफ हवा के लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी’, पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका पर ISOMES में आयोजित हुई वर्कशॉप

बीते 21 अगस्त को न्यूज 24 के मीडिया कॉलेज ISOMES में एक वर्कशॉप 'Breath of Change' का आयोजन किया गया। इसमें मीडिया स्टूडेंट्स को बताया गया कि जीवन के लिए सांस लेना जरूरी है और इसके लिए साफ हवा आवश्यक है। आज के समय में वायु प्रदूषण लोगों के जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। इससे निजात पाने के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है और इसके लिए लोगों को मीडिया क्या कर सकता है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 23, 2025 20:30
isomes

बीते 21 अगस्त को न्यूज 24 के मीडिया कॉलेज ISOMES में ‘Breath of Change’ नाम से एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में मीडिया स्टूडेंट्स को पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के तरीके को लेकर चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि पर्यावरण की रिपोर्टिंग करते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मिलकर एक कार्यशाला आयोजित की।

इस दौरान बताया गया कि सांस लेना हमारी जिंदगी का आधार है, लेकिन अगर यही हवा जहरीली हो जाए तो क्या होगा? आज हमारी हवा प्रदूषण की चपेट में है और यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। इस खतरे से निपटने के लिए समाज को जागरूक करना बेहद जरूरी है।

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समाज में पॉजिटिव चेंज ला सकता है मीडिया

कार्यशाला का शुभारंभ ISOMES की निदेशक तनुजा शंकर ने किया। उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि मीडिया की ताकत समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक मजबूत जरिया है। इसके बाद CMS के डिप्टी डायरेक्टर सब्यसाची भारती ने इस कार्यशाला के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि मीडिया के स्टूडेंट्स भविष्य के पत्रकार हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को जन-जन तक पहुंचाएं।

कितना गंभीर है वायु प्रदूषण?

कार्यशाला के पहले सत्र में क्लीन एयर एशिया की विशेषज्ञ डॉ. प्राची गोयल ने वायु प्रदूषण की गंभीरता को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण कोई प्राकृतिक समस्या नहीं है, बल्कि यह मानव निर्मित गलतियों का परिणाम है। डॉ. प्राची ने एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के बारे में विस्तार से बताया, जो हवा की गुणवत्ता को मापने का एक वैज्ञानिक तरीका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण को लेकर कई गलत धारणाएं, जैसे कि यह केवल शहरों की समस्या है, समाज में प्रचलित हैं। इन मिथकों को तोड़ते हुए उन्होंने कहा, ‘यह समस्या हमने पैदा की है और इसका समाधान भी हमें ही करना होगा।’

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पत्रकार को विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं

दूसरे सत्र में मोंगाबे इंडिया के असिस्टेंट एडिटर मनीष चंद्र मिश्रा ने पर्यावरणीय पत्रकारिता के नफीस पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि एक पत्रकार को विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं है, लेकिन सही और सटीक सवाल पूछने की कला जरूरी है। तथ्यों की सटीकता को उन्होंने पत्रकारिता का आधार बताया और कहा कि पर्यावरण की खबरों को इतना सरल और रोचक बनाना चाहिए कि आम लोग भी उन्हें आसानी से समझ सकें। सत्र के दौरान स्टूडेंट्स को एक रचनात्मक टास्क दिया गया, जिसमें उन्हें तुरंत एक पर्यावरणीय कहानी का आइडिया बनाकर प्रस्तुत करना था। इसमें स्टूडेंट्स ने अपनीरचनात्मकता और त्वरित सोच को सामने लाया।

कैसे पेश करें पर्यावरण की खबरें?

कार्यशाला के अंतिम सत्र में इंडिया टीवी के सीनियर एडिटर पंकज कुमार ने टीवी पत्रकारिता में पर्यावरणीय खबरों को प्रभावी ढंग से पेश करने के गुर साझा किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण कोई फैशन का विषय नहीं, बल्कि हमारी जिंदगी का आधार है। उनके अनुसार, टीवी पर खबरों को लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर दिखाना चाहिए ताकि दर्शक उसका महत्व समझ सकें। उन्होंने यह भी बताया कि मीडिया का काम केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने और बदलाव के लिए प्रेरित करना भी है।

First published on: Aug 23, 2025 08:30 PM

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