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म‍िलें कानपुर के श्रवण कुमार विश्वकर्मा से, ऑटो चलाने वाला कैसे बन गया शंख एयरलाइंस का माल‍िक? जानें

श्रवण कुमार पहले कानपुर के टेम्पो ड्राइवर थे. और अब शंख एयरलाइंस लॉन्‍च कर रहे हैं. श्रवण कुमार की तरक्की देखकर इंडस्ट्री के द‍िग्‍गज भी हैरान हैं. जान‍िए एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और कम पढ़े-लिखे श्रवण एक स्टार्टअप एयरलाइन के मुखिया कैसे बन गए.

Author Written By: Vandana Bharti Updated: Dec 31, 2025 17:10
श्रवण कुमार व‍िश्‍वकर्मा की सफलता की कहानी

Shravan Kumar Vishwakarma Success Story: प‍िछले द‍िनों भारत के एव‍िएशन सेक्‍टर में तीन नई एयरलाइन्‍स को अप्रूवल म‍िला है, इसमें से एक नाम शंख एयरलाइंस भी है, ज‍िसकी सेवाएं जल्‍द ही शुरू होने की उम्‍मीद है. लेक‍िन खास बात ये नहीं है क‍ि एक नई एयरलाइन्‍स की शुरुआत हो रही है. बल्‍क‍ि उस व्‍यक्‍त‍ि की चर्चा हो रही है, ज‍िसने इस एयरलाइन्‍स को शुरू क‍िया है. उस व्‍यक्‍त‍ि का नाम श्रवण कुमार व‍िश्‍वकर्मा है जो पहले एक टैम्‍पू ड्राइवर थे. इंडस्‍ट्री के सभी कारोबारी उनकी ग्रोथ को देखकर हैरान हैं. आख‍िर श्रवण कुमार व‍िश्‍वकर्मा ने टैम्‍पू ड्राइवर से एयरवेज के माल‍िक होने तक का सफर कैसे पूरा क‍िया? आइये जानते हैं:

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श्रवण कुमार व‍िश्‍वकर्मा के सफलता की कहानी :

सबसे पहले बता दें क‍ि श्रवण की शंख एयरलाइन्‍स लखनऊ को दिल्ली, मुंबई और दूसरे मेट्रो शहरों से जोड़ने पर फोकस करेगी. मीड‍िया र‍िपोर्ट्स के अनुसार विश्वकर्मा ने बताया कि उनकी फॉर्मल पढ़ाई-लिखाई ज्‍यादा नहीं हुई थी और उन्हें पढ़ाई में ज्‍यादा दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने कहा क‍ि मैंने जान-पहचान वालों के साथ ऑटो चलाए और कुछ छोटे-मोटे बिजनेस भी किए, जिनमें से कई फेल हो गए. साल 2014 में सीमेंट के बिजनेस में आने के बाद श्रवण की बिजनेस यात्रा को रफ्तार मिली.

इसके बाद TMT स्टील, माइनिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कदम रखा गया. श्रवण के अनुसार आज उनके पास 400 से ज्‍यादा ट्रकों का फ्लीट है. श्रवण कहते हैं क‍ि उनका ग्रोथ धीरे-धीरे और स्वाभाविक था. कोई बड़ी प्लानिंग नहीं थी. चीजें समय के साथ अपने आप होती गईं. एविएशन को सबसे तेजी से बढ़ते सेक्टर में से एक बताते हुए, विश्वकर्मा ने कहा कि इसकी सबसे बड़ी ताकत मजबूत कैश फ्लो है. एव‍िएशन में कोई क्रेडिट सिस्टम नहीं है. कई बिजनेस इसलिए फेल हो जाते हैं क्योंकि वे क्रेडिट पर निर्भर होते हैं, लेकिन एविएशन इस तरह से काम नहीं करता.

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शंख नाम क्‍यों रखा
एयरलाइन के नाम के बारे में श्रवण ने कहा क‍ि हमारी ट्रेडिंग फर्म का नाम पहले से ही शंख था और इस नाम का एक सांस्कृतिक जुड़ाव भी है. इसीलिए हमने एयरलाइन का नाम भी शंख रखा. फंडिंग के बारे में, विश्वकर्मा ने कहा कि एयरलाइन को अपनी पेरेंट कंपनी से पूरा सपोर्ट मिला हुआ है.

35 साल के एंटरप्रेन्योर ने कहा कि शंख एयरलाइंस का मुख्य मकसद मिडिल क्लास पैसेंजर्स और पहली बार हवाई यात्रा करने वालों के लिए हवाई सफर को आसान बनाना है और इस सोच को बदलना है कि हवाई यात्रा एक लग्जरी है.

First published on: Dec 31, 2025 05:10 PM

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