PSU Bank Workforce Hits 13-Year Low: पिछले कुछ सालों में सरकारी बैंकों का कामकाज काफी ज्यादा बढ़ा है, लेकिन उसके अनुपात में कर्मचारियों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र (PSUs) के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या 13 वर्षों में सबसे कम पहुंच गई है।
इस वजह से सुस्त हुई रफ्तार
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2011 में सरकारी बैंकों में 755,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे और 2024 के अंत तक, इस संख्या में केवल मामूली बढ़ोत्तरी ही देखने को मिली है। कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की इस सुस्त रफ्तार की वजह बैंकों का मर्जर भी है। विलय के चलते बैंकों ने नई शाखाएं खोलने की स्पीड कम कर दी है। इसके अलावा, बैंक कर्मचारियों के बेहतर करियर ऑप्शन के लिए नौकरी छोड़ने के मामले भी बढ़े है। इससे भी बैंकों की वर्कफोर्स में कमी आई है।
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प्राइवेट बैंकों को लेकर भी चिंता
RBI की रिपोर्ट में प्राइवेट बैंकों के कर्मचारियों की घटती संख्या भी पर चिंता जाहिर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारियों के नौकरी बदलने की ऊंची दर निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए ऑपरेशनल संबंधी जोखिम पैदा करती है। प्राइवेट बैंकर्स के नौकरी छोड़ने या बदलने की दर में करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो चिंताजनक है।
प्रभावित हो सकती हैं सेवाएं
रिजर्व बैंक के अनुसार, चुनिंदा प्राइवेट के बैंकों और लघु वित्त बैंकों (SFB) में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर अधिक है। RBI का कहना है कि इस तरह की स्थिति गंभीर ऑपरेशनल जोखिम उत्पन्न करती है, जिसमें कस्टमर सर्विस प्रभावित हो सकती हैं। केंद्रीय बैंक का कहना है कि बैंकर्स के नौकरी छोड़कर जाने से तमाम तरह की परेशानियां होती हैं और और भर्ती लागत में भी वृद्धि होती है।
ये कदम उठाने के निर्देश
RBI ने सभी बैंकों से कर्मचारियों की बेहतर ट्रेनिंग, बेहतर कामकाजी माहौल और करियर ग्रोथ पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करने को कहा है। बता दें कि बैंकों में बढ़ते कामकाज को लेकर सरकारी कर्मचारी पिछले काफी समय से हर शनिवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई दूसरे सरकारी संगठनों का हवाला देते हुए कहा है कि शनिवार-रविवार के साप्ताहिक अवकाश से बैंकों का कामकाज प्रभावित नहीं होगा। हालांकि, अब तक उनकी इस मांग पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
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