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‘उतार-चढ़ाव के समय मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना जरूरी’; RBI गवर्नर का बयान

RBI Governor Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर कहा है कि बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना बहुत जरूरी है।

Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Oct 6, 2024 13:50
RBI Governor Shaktikanta Das

RBI Governor Shaktikanta Das: भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक नया मुकाम हासिल किया है, दरअसल भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। इसी के साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार साल 2024 में 87.6 अरब डॉलर है। इस उपलब्धि पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का बयान सामने आया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

RBI का गवर्नर बयान

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व में पेमेंट्स सरप्लस बैलेंस में वृद्धि से समर्थित होता है, जिसमें कम करंट अकाउंट का लॉस भी मददगार है। अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारत के रिजर्व काफी मजबूत हैं। वहीं बाजोरिया और गुप्ता ने बताया कि हाल ही में डॉलर/रुपये की दर में उतार-चढ़ाव ने रुपये को सीमित बढ़त की गुंजाइश प्रदान की है। उच्च अस्थिरता के बावजूद, RBI रिजर्व जमा करने और करेंसी कम्पिटिटिवनेस बनाए रखने के अपने टारगेट को जारी रख सकता है।

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एक्सटर्नल रिस्क के खिलाफ बफर

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, जो रिकॉर्ड 705 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह भंडार, दुनिया में चौथा सबसे बड़ा भंडार है। इससे देश के शेयरों और बॉन्ड में विदेशी निवेश भी बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इन भंडारों का उपयोग रुपये को स्थिर करने के लिए किया है, ताकि मुद्रा में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोका जा सके, जो रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब है। विश्लेषक राहुल बाजोरिया और अभय गुप्ता ने ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा कि केंद्रीय बैंक एक्सटर्नल रिस्क के खिलाफ बफर बनाने के लिए बड़े रिजर्व रखने में सहज प्रतीत होता है।

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करेंसी पॉलिसी में ढील देना

बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि मार्च 2026 तक रिजर्व बढ़कर 745 बिलियन डॉलर हो सकता है, जिससे आरबीआई को अधिक लाभ मिलेगा। दुनियाभर के सभी सेंट्रल बैंक, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी शामिल है, ने करेंसी पॉलिसी में ढील देना शुरू कर दिया है। ऐसे में RBI के सामने चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है, लेकिन आरबीआई अपने भविष्य के नीतिगत निर्णयों में सावधानी बरतेगा।

First published on: Oct 06, 2024 01:09 PM

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