दिल्ली: क्या आप इस साल अपना इनकम टैक्स रिफंड (ITR) दाखिल करने से चूक गए? क्या आप इस बात से चिंतित हैं कि टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) भी लैप्स हो जाएगा? खैर, यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनके माध्यम से कोई भी अपने टीडीएस का क्लेम कर सकता है लेकिन केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही।
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टीडीएस कुछ भुगतान जैसे किराया, बैंक जमा आदि करते समय किया जाता है जिसे बाद में करदाता द्वारा आईटीआर दाखिल करने की उचित प्रक्रिया का पालन करके दावा किया जा सकता है। लेकिन, आयकर नियम के अनुसार, आईटीआर दाखिल करने की तय तारीख बीत जाने पर कोई भी टीडीएस रिफंड का दावा करने के योग्य नहीं है। फिर भी कुछ छूट मिलती हैं, जिनपर आपको ध्यान लगाना होगा।
ITR की समय सीमा समाप्त होने के बाद टीडीएस का दावा करने के तरीके
-धारा 119 (2) (बी) – इस धारा के तहत एक आवेदक आईटीआर फाइलिंग की तारीख बीत जाने के बाद टीडीएस रिफंड के लिए किसी भी छूट का दावा कर सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) आयकर अधिकारियों को ऐसे किसी भी दावे की अनुमति देने में सक्षम है, हालांकि, यह केवल तभी दिया जा सकता है जब अंतिम तिथि का अनुपालन करदाता द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविक कठिनाई के कारण हो। धारा 119 की शक्तियों के अनुपालन में, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त को 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच के दावे पर विचार करने का काम सौंपा गया है।
-कोई भी – एक व्यक्ति, कंपनी, ट्रस्ट एचयूएफ- जिसे पैन जारी किया गया है और इन उपरोक्त मानदंडों को पूरा करता है वह दावा दायर करने के लिए पात्र है।
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क्लेम दायर करने के लिए क्या करें?
-संबंधित क्षेत्राधिकारी प्राधिकारियों को एक आवेदन पत्र लिखिए। चूंकि उनका आवेदन का कोई निर्दिष्ट प्रारूप नहीं है।
-चूंकि यह एक माफी अनुरोध होगा, आवेदक को उन परिस्थितियों (वास्तविक कठिनाई) के बारे में विस्तार से बताना चाहिए जिसके तहत वे तय तारीख तक आईटीआर दाखिल करने में असमर्थ थे।
-आईटीआर की समय सीमा निकल जाने के बाद खुद का समर्थन करने वाले कुछ ठोस और प्रासंगिक सबूत भी होने चाहिए।
-आवेदन की स्थिति के बारे में सभी विवरण आयकर पोर्टल के ‘लंबित कार्यों’ कॉलम के तहत उपलब्ध होंगे।
-यदि आवेदन स्वीकृत हो जाता है तो आवेदक को पोर्टल के ई-फिलिंग टैब में आईटीआर ऑनलाइन दाखिल करना होगा।
-यदि आवेदन खारिज कर दिया जाता है, तो आवेदन उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर कर सकता है।
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