Hindenburg Report: अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल अफसर जुगेशिंदर सिंह ने अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को फर्जी बताया है। उन्होंने यह भी बताया कि शॉर्ट-सेलर फर्म द्वारा उठाए गए सवालों का अडानी ग्रुप ने 413 पन्नों के जवाब में जवाब दिया है। अडानी समूह ने रविवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ बनाने की अनुमति देने के लिए एक छिपे हुए मकसद से प्रेरित थी।
जुगशिंदर सिंह ने बताया, “झूठ और गलत बयानी पर यह रिपोर्ट आधारित है। रिपोर्ट में हमारे मौलिक कारोबार के बारे में बात नहीं की गई है।” उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग ने कोई शोध नहीं किया। सभी 68 सवाल फर्जी और गलत बयानी वाले हैं। उन्होंने कट-कॉपी-पेस्ट किया है।
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"यह एक कंपनी नहीं बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता और अखंडता पर हमला है"
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जुगशिंदर सिंह ने कहा, “वे जानबूझकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। हम झूठ, गलत बयानी और फर्जी चीजों को स्वीकार नहीं कर सकते।” उन्होंने ये भी कहा कि यह अडाणी ग्रुप पर नहीं बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता के साथ-साथ भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है।
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप ने दिया 413 पन्नों का जवाब
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रिपोर्ट से अडाणी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर पर पड़ा असर
बता दें कि अडानी एंटरप्राइजेज का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सब्सक्रिप्शन है, जिसका लक्ष्य 20,000 करोड़ रुपये जुटाना है। शॉर्ट-सेलर फर्म की एक नकारात्मक रिपोर्ट ने सेंटिमेंट को प्रभावित किया है और अडानी समूह की सभी कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ा है।
शॉर्ट सेलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली न्यूयॉर्क की फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण अडानी समूह को केवल दो कारोबारी सत्रों में बाजार मूल्य में 50 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान हुआ है और अडानी को खुद 20 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के आने के बाद फोर्ब्स के रियल टाइम बिलेनियर्स इंडेक्स में चौथे पायदान पर काबिज गौतम अडानी अब सातवें नंबर पर आ गए हैं।
क्या है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट?
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और फ्रॉड स्कीम का आरोप लगाया गया है। न्यूयॉर्क बेस्ड इस इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म की ओर से पिछले हफ्ते 24 जनवरी को पब्लिश रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने 2 साल की जांच के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 17.8 लाख करोड़ रुपये यानी 218 अरब डॉलर वाला अडाणी ग्रुप दशकों से शेयरों की हेरफेर और अकाउंट्स में फ्रॉड करने में जुटा है।