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‘भविष्य उसका जो वर्तमान से आगे देख सके’, धारावी प्रोजेक्ट से लेकर मुंद्रा पोर्ट तक, क्या बोले गौतम अडानी

Gautam Adani : गौतम अडानी ने कहा कि मैं 16 साल का था जब मैंने बाउंड्री तोड़ने का फैसला किया था। लोग आज भी मुझसे पूछते हैं कि मैं मुंबई क्यों आया, क्यों मैंने अपनी एजुकेशन पूरी नहीं की। इसका जवाब हर उस युवा को पता है जो सपने देखता है, जो बाउंट्री को बैरियर की तरह नहीं बल्कि चुनौती की तरह देखता है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Sep 5, 2024 22:31
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Adani Group Chairman Gautam Adani
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी। (File Photo)

Gautam Adani At Jai Hind College : देश के सबसे बड़े कारोबारी घरानों में से एक अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी ने गुरुवार को शिक्षक दिवस के मौके पर मुंबई में स्थित जय हिंद कॉलेज के छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 75 साल पहले कराची में स्थित डीजे सिंध कॉलेज दो विजनरी प्रोफेसर्स ने 2 छोटे कमरों में इन संस्थानों की शुरुआत की थी। इसके अलावा उन्होंने मुंबई शहर में धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया और कहा कि यह प्रोजेक्ट केवल शहरी नवीनीकरण को लेकर नहीं है बल्कि यह प्रोजेक्ट देश के 10 लाख से ज्यादा लोगों की डिग्निटी को रिस्टोर करने का काम करेगा और उन्हें बेहतर भविष्य देगा।

अडानी ने कहा कि हर देश ऐसे ट्रांसफॉर्मेशंस का समय देखता है जो उसके भविष्य की दिशा तय करते हैं। साल 1947 आजाद भारत को लेकर था। साल 1991 हमारे कारोबारों की आजादी को लेकर था। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आजादी की भावना और मजबूत हुई, इस दौरान केंद्र में कई रिफॉर्म्स आए और शासन को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए। अडानी ने कहा कि ये सभी साल हमारे लिए टर्निंग पॉइंट्स साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य उन लोगों के लिए होता है जो वर्तमान से आगे देखने की क्षमता रखते हैं, जो लोग इस बात को समझते हैं कि आज की जो लिमिट है वह कल का शुरुआती बिंदु होगी।

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मुंद्रा पोर्ट से कैसे बदल गई तस्वीर?

गौतम अडानी ने मुंद्रा पोर्ट को लेकर भी बात की। यह देश का सबसे बड़ा कॉमर्शियल पोर्ट है जो स्टेट ऑफ दि आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर से लैस है और कोयला इंपोर्ट का सबसे बड़ा टर्मिनल है। अडानी ने कहा कि 1995 में गुजरात सरकार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए अपना पहला इंडस्ट्रियल प्लान लाई थी, इसमें पोर्ट पर खास ध्यान दिया गया ता। उस समय ग्लोबल कमोडिटी ट्रेडर कारगिल (Cargill) ने हमसे संपर्क किया था। उन्होंने कच्छ क्षेत्र से नमक की सोर्सिंग और मैन्युफैक्चरिंग के लिए पार्टनरशिप को लेकर प्रपोजल दिया था। हालांकि, ये भागीदारी नहीं हो पाई और हमारे पास करीब 40000 एकड़ की दलदली जमीन रह गई थी।

अडानी ने आगे कहा कि बाकी लोग जिसे दलदली जमीन की तरह देख रहे थे, हमारे लिए वह एक कैनवास थी जो ट्रांसफॉर्मेशन का इंतजार कर रही थी। अब यह कैनवास हमारे देश का सबसे बड़ा पोर्ट बन चुका है। मुंद्रा मेरी कर्मभूमि बना और इसने मेरे विजन को सच में बदला। यह इस बात का सबूत है कि जब आप जैसे सपने देखते हैं, जैसे काम करते हैं, जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। मुंद्रा पोर्ट मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराता है। अडानी ने कहा कि समय के साथ मैंने एक बड़ा सबक यह सीखा है कि जितना बड़ा आप रिस्क लेते हैं, जिस स्तर पर आप सीमाओं को तोड़ते हैं, कॉम्पिटिशन उतना ही कम होता चला जाता है।

धारावी प्रोजेक्ट के लिए क्या कहा?

उन्होंने कच्छ में खावड़ा को लेकर भी बात की जो दुनिया के सबसे इनहॉस्पिटेबल (जहां रहना बहुत मुश्किल हो) रेगिस्तानों में से एक है। उन्होंने कहा कि अब यह जगह दुनिया की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टालेशन वाली जगह बन गई है। ये इंस्टॉलेशन सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैले हैं। इसके बाद उन्होंने दुनिया के सबसे जटिल रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट मुंबई के धारावी को लेकर बात की। गौतम अडानी ने कहा कि अगले एक दशक में हम दुनिया के सबसे बड़े स्लम को ट्रांसफॉर्म करने का काम करेंगे। मेरे लिए धारावी केवल शहरी रिन्यूअल को लेकर नहीं है। यह हमारे देश के 10 लाख से ज्यादा लोगों का सम्मान रीस्टोर करने के लिए है।

अडानी ने कहा कि हम सबको हमारे जीवन में एक रोल मॉडल की जरूरत होती है। कल्पना करिए एक ऐसे लड़के के बारे में जिसे अपने आस-पास की उम्मीदों और अपनी मन की आवाज में से किसी एक को चुनना हो। यह नैरेटिव किसी एक शख्स को लेकर नहीं है बल्कि यह एक ऐसी थीम है जिसे इतिहास में हमेशा देखा जा सकता है। डी रॉकफेलर, कॉर्नीलियर वैंडरबिल्ट और एंड्रयू कार्नेगी जैसे अमेरिकी दिग्गजों ने ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जिसने अमेरिका का भविष्य तय किया। इसी तरह जेआरडी टाटा, जीडी बिड़ला और धीरूभाई अंबानी जैसे हमारे देश के विजनरी कारोबारी दिग्गजों ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को पॉजिटिव दिशा देने में अहम भूमिका निभाई थी।

‘मुंबई मेरे लिए ट्रेनिंग ग्राउंड जैसा’

अडानी ने कहा कि मुंबई मेरे लिए एक ट्रेनिंग ग्राउंड की तरह था। साल 1985 से साल 1991 के बीच हुई घटनाएं भारत में आर्थिक बदलाव के पल थे। साल 1991 में जब लिबराइजेशन का एलान हुआ था तब अडानी ग्रुप ने एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस की स्थापना की थी। इसके तहत पॉलिमर्स, मेटल, टेक्सटाइल और एग्री प्रोडक्ट्स का बिजनेस किया जा रहा था। 2 साल में यह देश में सबसे बड़ा ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस बन गया था। साल 1994 में अडानी एक्सपोर्ट्स (अब अडानी एंटरप्राइजेज) ने आईपीओ लॉन्च किया जो गौतम अडानी की उद्यमिता की यात्रा में दूसरा बड़ा ब्रेक था। अडानी ने कहा कि लचीलेपन का मतलब गिरने से बचना नहीं बल्कि हर बार गिरने के बाद और मजबूती के साथ उठना है।

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Edited By

Gaurav Pandey

First published on: Sep 05, 2024 09:42 PM

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