EPFO Withdrawal Rules: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नियमों में बदलाव पर सरकार विचार कर रही है ताकि अंशधारकों को अपनी बचत का उपयोग करने में अधिक आजादी मिल सके। अभी जरूरत पड़ने पर जैसे मकान खरीदने, शादी-विवाह या एजुकेशन आदि के लिए कुछ पैसे निकाल सकते हैं। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि एक साल के भीतर केंद्र सरकार निकासी के नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रही है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि यह उनका पैसा है, उन्हें अपनी ज़रूरतों के हिसाब से अपने फंड का प्रबंधन करने की आज़ादी होनी चाहिए।” भारत में ईपीएफओ के कुल रजिस्टर्ड सदस्यों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 73.7 मिलियन (7.37 करोड़) हो गई थी। जुलाई 2025 में भी 21 लाख नए सदस्य जुड़े हैं।
Withdrawing PF for wrong reasons can led to Recovery under EPF Scheme 1952.
— EPFO (@socialepfo) September 22, 2025
Protect your future, use PF only for the right needs. Your PF is your lifelong safety shield!#EPFO #EPFOwithYou #HumHainNa #ईपीएफओ@PMOIndia @narendramodi @LabourMinistry @MIB_India @mansukhmandviya… pic.twitter.com/HMxUpWFair
क्या हैं मौजूदा निकासी नियम
वर्तमान में ईपीएफओ सदस्य अपनी पूरी राशि केवल रिटायरमेंट के बाद या दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने पर ही निकाल सकते हैं। आंशिक निकासी की अनुमति भी केवल विशिष्ट परिस्थितियों में है।
- विवाह के लिए: कम से कम सात साल की सेवा वाला कोई भी सदस्य अपने अंशदान और अर्जित ब्याज का 50% तक निकाल सकता है। यह न केवल उसके अपने विवाह के लिए, बल्कि उसके भाई-बहन या बच्चे के विवाह के लिए भी लागू होता है।
- आवास के लिए: आवास के लिए निकासी की सीमा कुल राशि की 90% तक है। संपत्ति सदस्य, उनके जीवनसाथी या संयुक्त स्वामित्व के नाम पर होनी चाहिए और सदस्य ने कम से कम तीन वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो।
- शिक्षा के लिए, कोई भी अंशदाता अपने अंशदान का 50% तक ब्याज सहित निकाल सकता है, लेकिन इसके लिए न्यूनतम सात वर्ष की सेवा आवश्यक है। यह केवल बच्चों की मैट्रिक के बाद की शिक्षा के लिए लागू है।
क्या हो सकता है प्रस्तावित बदलाव
मनीकंट्रोल ने जुलाई में पहले ही खबर दी थी कि सरकार एक नए ढांचे पर विचार कर रही है जिसके तहत ईपीएफओ सदस्यों को हर 10 साल में एक बार अपनी पूरी राशि या उसका एक हिस्सा निकालने की अनुमति दी जा सकती है। एक अधिकारी ने कहा था, “हर 10 साल में प्रत्येक ईपीएफओ सदस्य की जमा राशि में कुछ वृद्धि होगी और उन्हें यह तय करना होगा कि उन्हें क्या करना है।” विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों में ढील देना विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक होगा, जिन्हें अक्सर तत्काल नकदी की आवश्यकता होती है।










